मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर के सुप्रसिद्ध और हिन्दू मत की आस्था के बड़े केन्द्र महाकाल मंदिर परिसर में उत्पात मचाने वाले भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेताओं की परेशानी बढ़ गई है। पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद भाजयुमो की राज्य इकाई ने भी डेढ़ दर्जन नेताओं को कारण बताओ नोटिस थमाकर शुक्रवार शाम तक जवाब देने के निर्देश दिये हैं।
बता दें, भारतीय जनता युवा मोर्चा की राज्य इकाई ने उज्जैन महाकाल मंदिर में उत्पात के मामले में मोर्चा की उज्जैन नगर इकाई के अध्यक्ष अभय शर्मा, उज्जैन ग्रामीण अध्यक्ष नरेंद्र सिंह जलवा, युवा मोर्चा के नागदा मंडल के अध्यक्ष भवानी देवड़ा, प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य देवेन्द्र बाघेला उर्फ बाबू और 14 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ कुल 18 लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष वैभव पवार के निर्देश पर गुरूवार की शाम को जारी किये गये कारण बताओ नोटिस में संकेतों में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के प्रवास के दौरान महाकाल मंदिर परिसर में नंदी हाल में जबरिया घुसने का प्रयास घोर अनुशासनहीनता की परिधि में आता है।
सभी से कहा गया है, 12 अगस्त को पार्टी के भोपाल स्थित प्रदेश कार्यालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें। नोटिस में प्रश्न किया गया है, ‘क्यों न आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये?’
प्रशासन पर्दा डालने में जुटा रहा!
घटना 10 अगस्त की है। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिव उज्जैन आये हुए थे। प्रदेशाध्यक्ष वैभव पवार भी उज्जैन पहुंचे थे। जब ये लोग महाकाल मंदिर में दर्शन कर रहे थे तब मंदिर परिसर में जबरन प्रवेश का प्रयास करते हुए भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने जमकर उत्पात मचाया था।
सुरक्षा कर्मियों के रोकने पर भी उत्पाती काबू में नहीं आये थे। मंदिर प्रशासन का अमला भी मौके पर था। उसने भी हस्तक्षेप किया था, मगर बात नहीं बन पायी थी।
अपने नेताओं के साथ दर्शन की जिद पर अड़े बेकाबू कार्यकर्ता सुरक्षा घेरे को तोड़कर जबरिया मंदिर में घुस गये थे। इससे अफरा-तफरी मच गई थी। सामान्य दर्शनार्थियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा था। लोगों को दर्शन के लिये घंटों तक इंतजार करना पड़ा था।
घटनाक्रम सत्तारूढ़ दल भाजपा के अनुषांगिक संगठन से जुड़ा होने की वजह से पुलिस और स्थानीय प्रशासन पर्दा डालने में जुटा रहा था। मामले को रफा-दफा करने के प्रयास का आरोप भी प्रशासन पर लगा था। चूंकि घटना के तत्काल बाद ही भाजयुमो नेता-कार्यकर्ताओं की भीड़ के बवाल से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और मीडिया में चल पड़ा था, लिहाजा प्रशासन सफल नहीं हो सका था।
बाद में कलेक्टर आशीष सिंह ने मंदिर प्रशासन के आवेदन पर दो कार्यकर्ताओं के खिलाफ नामजद और बाकी अज्ञात के विरूद्ध रिपोर्ट की बात कही थी।
दिलचस्प यह है कि पुलिस और प्रशासन के अफसर पूरे घटनाक्रम को दबाने के प्रयासों में थे, लेकिन भारतीय जनता युवा मोर्चा के नोटिस में 18 नामों के बाद ‘कहानी’ खुद ही साफ हो गई है।
भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष वैभव पवार ने ‘सत्य हिन्दी’ के सवालों के जवाब में कहा, ‘जिन लोगों को नोटिस दिया गया है, वे शुक्रवार शाम को भोपाल पहुंचकर अपनी सफाई देने वाले हैं। दोषी पाये जाने वालों को हम बख्शेंगे नहीं।’
अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी बताया, ‘मुख्यतः तीन बिन्दुओं पर पूछताछ की जाएगी। 1 - घटनाक्रम कैसे हुआ? 2 - परिस्थितियां क्या थीं? और, 3 - मंदिर प्रशासन, सुरक्षा अमले और पुलिस का रोल क्या था?
उन्होंने स्वीकारा, ‘घटना दुःखद और मोर्चे के अच्छे कार्यों पर पानी फेरने वाली रही है।’
‘तीन स्तर पर अनुमतियां थीं’
पता चला है कि भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दर्शन के लिये पहुंचने को लेकर भाजयुमो इकाई ने तीन स्तर की अनुमतियां लीं थीं।
पहली अनमुति राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या, राष्ट्रीय महासचिव रोहित चहल, प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार व एक अन्य की गर्भगृह में पूजा के लिये थी। दूसरी अनुमति में कुल 10 पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को नंदी हाल तक जाने तथा तीसरी अनुमति 50 कार्यकर्ताओं को मंदिर परिसर में प्रवेश संबंधी थी।
बताते हैं, गर्भगृह में दर्शन संबंधी कुल 4 लोगों के प्रवेश की अनुमति में तीन ही (राष्ट्रीय अध्यक्ष/महासचिव और प्रदेशाध्यक्ष) लोग गये। मगर दो अन्य अनुमतियों में संख्या बढ़ गई। नंदी हाल में प्रवेश को लेकर पूरा उत्पात मचा। इसी उत्पात पर एफआईआर और नोटिसबाजी हुई है।
यह भी जानकारी सामने आयी है कि मंदिर में जबरिया प्रवेश के घटनाक्रम की जानकारी जिला इकाई अथवा प्रदेश के पदाधिकारियों की जगह राष्ट्रीय अध्यक्ष सूर्या से वैभव पवार को मिली।
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