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फाइल फोटो

मध्य प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस ने 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार बदले

कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को चार विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। इन चार निर्वाचन क्षेत्रों में मुरैना जिले की सुमावली सीट, नर्मदापुरम जिले की पिपरिया (अनुसूचित जाति) सीट, उज्जैन जिले की बड़नगर सीट और रतलाम जिले की जावरा सीट शामिल हैं। इन सीटों पर नये उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी कर दी है। 
अब नई संशोधित सूची के अनुसार, सुमावली सीट से कुलदीप सिकरवार की जगह अजब सिंह कुशवाह को मैदान में उतारा गया है। पिपरिया (एससी) सीट से गुरु चरण खरे की जगह अब वीरेंद्र बेलवंशी चुनाव लड़ेंगे। बड़नगर सीट से राजेंद्र सिंह सोलंकी की जगह मुरली मोरवाल अब उम्मीदवार बनाये गये हैं। जावरा सीट से हिम्मत श्रीमाल की जगह वीरेंद्र सिंह सोलंकी अब उम्मीदवार बनाये गये हैं। 
इस बदलाव के बाद सवाल उठ रहे हैं कि चार उम्मीदवारों को पहले टिकट देकर फिर टिकट वापस लेने का क्या कारण है? आखिर इस बदलाव के लिए कांग्रेस क्यों मजबूर हो गई ? 
राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि इन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद से ही पार्टी को बड़ी संख्या में नेताओं और कार्यकर्ताओं को नाराजगी का सामना करना पड़ रहा था। पार्टी में बगावत का खतरा बढ़ रहा था। 
सूत्र बताते हैं कि छिंदवाड़ा सीट से आने वाले गुरुचरण खरे को पिपरिया से उम्मीदवार बनाते ही उनक विरोध शुरु हो गया था। जबकि सुमावली से टिकट कटने के बाद अजब सिंह कुशवाहा नाराज होकर बसपा में शामिल होने का ऐलान कर चुके थे। जावरा सीट से श्रीमाल का भी विरोध हो रहा था। इन विरोधों और बगावत को देखते हुए ही पार्टी ने इन चार सीटों पर उम्मीदवार बदलने का फैसला किया है। 
मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा पिछले दिनों की थी। इसके बाद से जिन्हें टिकट नहीं मिला वे विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी इस तरह के विरोध का सामना कर रही है। 
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कांग्रेस ने इस बार 62 ओबीसी उम्मीदवारों को दिया है टिकट 

इससे पूर्व कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने 85 उम्मीदवारों की दूसरी सूची की घोषणा की थी। कांग्रेस ने सबसे पहले राज्य के लिए 144 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे।

कांग्रेस ने अपनी इन दो सूचियों में मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए ओबीसी वर्ग के 62 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। 

राज्य विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 और अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं।इससे पूर्व 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 60 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया था।  
इस वर्ष जिन पांच राज्यों में चुनाव होना है उसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। राज्य में चुनावों की घोषणा हो चुकी है। 17 नवंबर को मतदान होना है और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। यहां विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं जिसपर मतदाता अपना विधायक चुनेंगे।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई और पार्टी के वरिष्ठ नेता नेता कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद बने थे। हालांकि वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये और 2020 में तब के कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी थी। वह अपने  22 वफादार विधायकों के साथ भगवा खेमे में चले गए थे। इसके कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। 

इस राजनीतिक उथल-पुथल के बाद फिर एक बार भाजपा ने सरकार बनाई और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद से कांग्रेस फिर से मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का दावा है कि वह मध्य प्रदेश में चुनाव जीत कर अपनी सरकार बनाने जा रही है। वहीं भाजपा भी दावा कर रही है कि वह सत्ता में लौटेगी। 

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कांग्रेस की सरकार बनी तो कमलनाथ बन सकते है सीएम 

अब तक के राजनैतिक संकेत बता रहे हैं कि अगर मध्य प्रदेश में भाजपा लौटती भी है तो शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के अब मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। भाजपा ने इस बार उन्हें किनारे लगाने की कोशिश की है। इसी कारण से कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को वह विधानसभा चुनाव लड़ा रही है। माना जा रहा है कि भाजपा इस बार मध्य प्रदेश में अपना चेहरा बदल सकती है।  
दूसरी तरफ कांग्रेस में इस बार वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। यहां तक कि टिकटों के बंटवारे में उनकी मर्जी खूब चल रही है। उनके पसंद के उम्मीदवारों को कांग्रेस टिकट दे रही है। राज्य में चुनाव अभियान उनकी सोच के मुताबिक चल रहा है।
अपनी सरकार गिरने के बाद से वह मध्य प्रदेश में ही जमे रहे हैं और लगातार जमीन पर इस दौरान काम करते रहे हैं। फिलहाल मध्य प्रदेश में कमलनाथ सबसे मजबूत कांग्रेसी चेहरा हैं और कोई भी उनका प्रतिद्वंदी नहीं है। कभी उनके मुख्य प्रतिद्वंदी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। यही कारण है कि राजनैतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस चुनाव जीतती है तो कमलनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे।
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क़मर वहीद नक़वी
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