निसर्ग चक्रवात की वजह से मध्य प्रदेश के अनेक जिलों में हुई जोरदार बारिश ने शिवराज सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी है। सरकार द्वारा खरीदा गया 300 करोड़ से ज्यादा का गेहूं पानी में भीग गया है। गेहूं समेत अन्य फसलें बेचने के लिए सरकारी खरीद केन्द्रों में खड़े किसानों की उपज को भारी नुक़सान हुआ है।
कोरोना और लाॅकडाउन के चलते प्रदेश का किसान पहले से ही परेशान था। निसर्ग चक्रवात के चलते अनेक जिलों में हुई जोरदार बारिश और सरकार की बद-इंतजामियों ने अन्नदाता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
बता दें, मध्य प्रदेश में गेहूं और अन्य उपजों से जुड़ा काम (उपार्जन) चल रहा है। राज्य में इस बार गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। कोरोना और लाॅकडाउन की वजह से काम देर से शुरू हुआ है। सूबे में 15 अप्रैल से उपार्जन आरंभ हुआ और इसकी अंतिम तारीख 31 मई से बढ़ाकर 30 जून की गई है।
मध्य प्रदेश सरकार पौने दो महीनों में 125 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन कर चुकी है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 15 हजार करोड़ का भुगतान किसानों को किया गया है। समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना और सरसों का उपार्जन अभी चल रहा है। किसानों की लंबी-लंबी कतारें हर जिले की मंडी और उपार्जन केन्द्रों पर लगी हुई हैं।
शिवराज सरकार का दावा था कि खरीदे गये शत-प्रतिशत गेहूं के भंडारण की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर ली गई है। इस दावे के विपरीत 300 करोड़ से ज्यादा का सरकारी गेहूं बारिश में भीग जाने संबंधी रिपोर्ट ने पूरी व्यवस्था को संदेह के दायरे में ला दिया है।
नहीं चेती राज्य सरकार
जानकार कह रहे हैं कि निसर्ग चक्रवात की वजह से मौसम विशेषज्ञों द्वारा बारिश की संभावनाएं जताये जाने के बाद ही अगर सरकार चेत जाती और गेहूं को बारिश से बचाने के पूर्व इंतजाम कर लेती तो अन्नदाता की मेहनत और राष्ट्र की इस अमूल्य संपत्ति का नुकसान नहीं होता। दरअसल, तिरपाल और अन्य व्यवस्थाएं ना होने की शिकायतें हर मंडी और खरीद केन्द्र से सामने आ रही हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बारिश से सरकारी ख़रीद केन्द्रों पर रखा करीब 300 करोड़ का गेहूं भीग जाने की शुरुआती रिपोर्ट अनेक जिलों से आई है।
बेहद परेशान हैं किसान
सरकारी खरीद केन्द्रों पर रखे गेहूं के अलावा अपनी उपज बेचने के लिए मंडियों और केन्द्रों में खड़े किसानों का गेहूं एवं अन्य उपज भी बेमौसम बारिश की चपेट में आई है। बड़ी संख्या में किसानों ने उनका गेहूं भीगकर खराब होने की शिकायतें की हैं।
किसानों का कहना है कि समय रहते उनका गेहूं अगर केन्द्र खरीद लेते तो उनकी खून-पसीने की कमाई जाया नहीं होती। किसान अब भी कतार में हैं। वे आशंकित हैं कि अब खरीद केन्द्र भीगा हुआ गेहूं नहीं लेंगे। कई किसानों की उपज में तो अंकुर निकल आये हैं। खास तौर पर चने की उपज को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है और दाने अंकुरित हो गये हैं।
उज्जैन में सबसे ज्यादा नुकसान
सरकारी खरीद केन्द्रों में गेहूं भीगने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान उज्जैन में होने की सूचना है। उज्जैन में दो लाख टन गेहूं भीगा है। धार में 68 हजार टन, शाजापुर में 60 हजार टन, देवास में 47 हजार टन, राजगढ़ में 15 हजार टन, भोपाल में साढ़े बारह हजार टन, झाबुआ में 4 हजार और रायसेन में 2 हजार टन गेहूं भीग जाने की आरंभिक रिपोर्टस हैं।
‘सिर्फ़ 0.13% गेहूं हुआ गीला’
उधर, एक सरकारी बयान में दावा किया गया है कि बारिश से महज 0.13 प्रतिशत गेहूं ही गीला हुआ है। बयान में यह भी दावा किया गया है कि अब तक हुई 1.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की कुल खरीद में से 1.14 लाख मीट्रिक टन का परिवहन और सुरक्षित भंडारण किया जा चुका है। कुल 19.47 लाख किसानों ने गेहूं बिक्री के लिए पंजीयन कराया है और इनमें 15.76 लाख किसानों से उनकी उपज सरकार खरीद चुकी है।
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