प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आपको अति पिछड़ा घोषित करके एक नया राजनीतिक दाँव खेला है। कन्नौज की सभा में उन्होंने कहा कि वह अति पिछड़ा समाज से हैं। तीन दौर के मतदान के बाद मोदी की इस घोषणा को अगले दौर के मतदान से जोड़ कर देखना ज़रूरी है। ख़ास कर उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति से इसका सीधा संबंध है। दोनों ही राज्यों में अति पिछड़ा समुदाय के कई नेता मोदी और बीजेपी के ख़िलाफ़ खड़े हो गये हैं। 2014 के चुनाव में मोदी को जीत दिलाने में इस समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन 2019 के चुनावों में अति पिछड़ों के नेताओं की बग़ावत से बीजेपी असहज महसूस कर रही थी।
आख़िर क्यों ख़ुद को अति पिछड़ा बता रहे हैं मोदी?
- चुनाव 2019
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- 30 Apr, 2019

प्रधानमंत्री मोदी अब अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में जुटे हैं। वैसे, मोदी का बयान समय के साथ बदलता भी रहता है। 2014 के चुनावों से पहले उन्होंने ख़ुद को नीची जाति का घोषित कर दिया था। अति पिछड़ों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा बिल्कुल नयी है और वे अपने लिये यादव और जाटव जैसी ज़मीन तलाश रहे हैं।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक