प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आपको अति पिछड़ा घोषित करके एक नया राजनीतिक दाँव खेला है। कन्नौज की सभा में उन्होंने कहा कि वह अति पिछड़ा समाज से हैं। तीन दौर के मतदान के बाद मोदी की इस घोषणा को अगले दौर के मतदान से जोड़ कर देखना ज़रूरी है। ख़ास कर उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति से इसका सीधा संबंध है। दोनों ही राज्यों में अति पिछड़ा समुदाय के कई नेता मोदी और बीजेपी के ख़िलाफ़ खड़े हो गये हैं। 2014 के चुनाव में मोदी को जीत दिलाने में इस समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन 2019 के चुनावों में अति पिछड़ों के नेताओं की बग़ावत से बीजेपी असहज महसूस कर रही थी।