कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है। इसके साथ ही इसने कृषि उपज विपणन समिति यानी एपीएमसी अधिनियम में किए गए संशोधनों को रद्द करने और स्कूली पाठ्यपुस्तकों में किए गए विवादास्पद बदलाओं को भी रद्द करने का निर्णय लिया है। राज्य में कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच के पाटिल ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण अधिनियम में किए गए बदलाव 5 जुलाई से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा के अगले सत्र में निरस्त कर दिए जाएंगे।
कांग्रेस ने चुनाव से पहले वादा किया था कि वह इन क़ानूनों की समीक्षा करेगी और यदि ज़रूरी हुआ तो कर्नाटक में पिछली भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए सभी क़ानूनों को ख़त्म करेगी। सिद्धारमैया सरकार की कैबिनेट की आज की बैठक में बीजेपी सरकार में क़ानूनों में किए गए बदलावों को उलटने का फ़ैसला लिया गया।
पाठ्यक्रमों में बदलाव
कैबिनेट ने आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार और सावरकर से संबंधित पाठों को हटाने के साथ-साथ दक्षिणपंथी वक्ता चक्रवर्ती सोलिबेले द्वारा लिखित एक पाठ को हटाने की मंजूरी दी। स्कूली शिक्षा और साक्षरता मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि बीजेपी सरकार के तहत पाठ्यपुस्तकों में किए गए संशोधन को खत्म करना कांग्रेस के घोषणापत्र में था।
उन्होंने कहा, 'पाठ्यपुस्तकें पहले से ही छात्रों के पास हैं। पाठ्यपुस्तकों को देखने के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति ने 45 बदलावों की सिफारिश की है, जिसमें कुछ वाक्य और अध्याय शामिल हैं। हम अभी कुछ ही बदलाव करेंगे।' कक्षा 6 से 10 के लिए कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव किए जा रहे हैं।
कैबिनेट ने सभी स्कूलों में प्रतिदिन संविधान की प्रस्तावना का पाठ अनिवार्य करने का भी निर्णय लिया। समाज कल्याण मंत्री एच सी महादेवप्पा ने कहा कि सभी सरकारी कार्यालयों में प्रस्तावना की तस्वीर होगी।
कपड़ा और कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा कि एपीएमसी अधिनियम में किए गए संशोधनों ने किसानों और व्यापार को नुक़सान पहुँचाया है। उन्होंने कहा, '2019-20 में एपीएमसी का मुनाफा 620 करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में घटकर 194 रुपये रह गया।'
अपनी राय बतायें