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फोटो साभार: ट्विटर/@ompsyram/वीडियो ग्रैब

जानिए, गुजरात तट से टकराने वाले चक्रवात का नाम बिपरजॉय कैसे पड़ा

बिपरजॉय गुरुवार शाम को गुजरात के तटों से टकरा गया। इसके साथ ही गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में तेज हवाएं चलीं और भारी बारिश हुई। भारत के मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि चक्रवात बिपरजॉय की गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में लैंडफॉल प्रक्रिया शुरू हो गई है और आधी रात तक जारी रहेगी। चक्रवात आज रात तक जखाऊ पोर्ट (गुजरात) के पास मांडवी (गुजरात) और कराची (पाकिस्तान) के बीच सौराष्ट्र और कच्छ और पाकिस्तान के निकटवर्ती तटों को पार करेगा।

गुजरात सरकार अब तक आठ तटीय जिलों में रहने वाले 94,000 से अधिक लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों में स्थानांतरित कर चुकी है। इसने निषेध का आदेश भी जारी किए हैं, सार्वजनिक परिवहन को बंद कर दिया है और लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की दो-दो टीमों को गुजरात में तैनात किया गया है, जबकि सेना और भारतीय वायु सेना की टीमों को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है।

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मौसम विभाग के अनुसार कई जगह भारी बारिश और 125 किमी घंटे की रफ्तार से हवाएँ चलने की संभावना है, जो 145 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। सौराष्ट्र और कच्छ में दो से तीन मीटर उंची लहरें उठ सकती हैं। निचले इलाकों में पानी भर सकता है। कच्छ, सौराष्ट्र पार करने के बाद 16 जून को तूफान का प्रभाव दक्षिण राजस्थान पर दिखेगा। 

मौसम विभाग ने गुजरात में अगले 3 दिन हवा की रफ्तार 50 से 60 किमी रहने का अनुमान जताया है। वहीं 18 जून से हवा की गति धीरे-धीरे कम हो जाएगी। कई क्षेत्रों में बारिश हो सकती है। 

बिपरजॉय का नाम कैसे मिला

हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में एक चक्रवाती तूफान पिछले कुछ दिनों से लगातार भारत की तट की तरफ़ बढ़ रहा था। पिछले कुछ दिनों में अरब सागर में पनपने के बाद 6 जून को यह एक चक्रवाती तूफान में बदल गया। इसे साइक्लोन बिपरजॉय नाम दिया गया।

'बिपोरजॉय' का उच्चारण मुख्य तौर पर बांग्लादेश में किया जाता है। इस बांग्ला शब्द का अर्थ है 'आपदा'। इस चक्रवात का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी डब्ल्यूएमओ द्वारा किया गया।

चक्रवातों का नामकर इसलिए किया जाता है ताकि किसी क्षेत्र में किसी तरह की भ्रम की स्थिति न हो जब एक ही जगह पर दूसरी तरह का चक्रवात अस्तित्व में आ जाए। ऐसा होने पर जगह, चक्रवात की स्थिति के अनुसार, सलाह जारी की जाती है। यदि चक्रवातों के नाम अलग न हों तो भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है और तब एडवाइजरी और राहत व बचाव कार्यों पर असर पड़ सकता है।

डब्ल्यूएमओ से जारी निर्देशों के अनुसार छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय तूफान चेतावनी केंद्र को सलाह जारी करने और दुनिया भर में चक्रवातों को नाम देने के लिए अधिकृत किया गया है।

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दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की ज़िम्मेदारी भारत मौसम विज्ञान विभाग के पास है। यह आरएसएमसी 13 देशों- भारत, बांग्लादेश, ईरान, म्यांमार, मालदीव, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और यमन के लिए ज़िम्मेदार है।

वेदर डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2020 में आईएमडी ने चक्रवातों के लिए 169 नामों की एक नई सूची तैयार की, जिसमें प्रत्येक देश ने 13 नामों का योगदान दिया। ये नाम 13 सूचियों में बाँटे गए, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक सूची में प्रत्येक देश से कम से कम एक प्रविष्टि शामिल हो। क्रम के हिसाब से चलते हुए अगली सूची पर जाने से पहले एक सूची ख़त्म होनी चाहिए। नाम संबंधित देशों के आधार पर वर्णानुक्रम में व्यवस्थित हैं, और नामित शीर्षक हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत क्षेत्रों में उभरते तूफानों को दिए जाते हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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