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बीजेपी के झंडाबरदार मधु कोड़ा का पीछा नहीं छोड़ रहा ‘करप्शन’ का आरोप?

भारतीय जनता पार्टी का झंडाबरदार बने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का ‘करप्शन’ उनका पीछा नहीं छोड़ रहा। 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कोड़ा द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि के फ़ैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, ताकि वह राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ सकें।

कोड़ा की याचिका का जाँच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने विचारणीयता के आधार पर विरोध किया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा, ‘याचिका खारिज की जाती है।’

जाहिर तौर पर कोर्ट द्वारा इस याचिका को खारिज किए जाने के साथ ही कोड़ा के चुनाव लड़ने की तैयारियों को झटका लगा है। कोड़ा अभी कोल्हान में बीजेपी की चुनावी नैया खेने वालों में शामिल हैं। कोल्हान में बीजेपी का सूखा दूर हो, इसे लेकर पार्टी की उनसे उम्मीदें लगी है।

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कोयला घोटाले से जुड़े इसी मामले में 13 दिसंबर, 2017 को कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु और कोड़ा के क़रीबी सहयोगी विजय जोशी को भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने और राज्य में राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक को कोलकाता स्थित कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को आवंटित करने में आपराधिक साजिश रचने के आरोप में निचली अदालत ने तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी। साथ ही अलग अलग जुर्माना लगाया था। दोषियों को उनकी अपील लंबित रहने के दौरान जमानत दे दी गई। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत इसी दोष और सजा के चलते कोड़ा चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए हैं।  

उसी वर्ष चुनाव आयोग ने उन्हें चुनाव खर्च कम बताने का दोषी पाया और अगले तीन वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया था।

जब बीजेपी के झंडाबरदार हुए

लोकसभा चुनावों के दौरान मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं। इसके बाद बीजेपी ने गीता कोड़ा को सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ाया, जहां उन्हें जेएमएम की जोबा मांझी से करारी हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले 2014 में गीता कोड़ा ने सिंहभूम सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी।

लोकसभा चुनावों में गीता कोड़ा की चुनावी कमान मधु कोड़ा ही संभाल रहे थे। दरअसल सिंहभूम की राजनीति में कोड़ा दंपती की पैठ रही है। लेकिन जेएमएम इस बार कोड़ा के ‘किला’ को गिराने में सफल रहा है।

मधु कोड़ा और गीता कोड़ा के बीजेपी में शामिल होने के बाद से कोड़ा दंपती और पार्टी (बीजेपी) दोनों को कई मौक़े पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।

बदली राजनीतिक पार्टी मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को कोल्हान की जगन्नाथपुर सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी में है। इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। जबकि पूर्व में दो-दो बार मधु कोड़ा और गीता कोड़ा ने यहां से जीत दर्ज की है। यह वजह है कि जगनाथपुर को कोड़ा का गढ़ भी माना जाता है। इस बार जेएमएम समर्थित कांग्रेस और बीजेपी के बीच यहां मुक़ाबला तगड़ा हो सकता है।

इससे पहले लोकसभा चुनावों के दौरान ही चाईबासा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दल के वरिष्ठ नेता और सरकार में मंत्री दीपक बिरूआ ने कहा था, ‘’गीता कोड़ा ने पाला इसलिए बदला है कि 4000 करोड़ के घोटाले में फंसे उनके पति मधु कोड़ा बीजीपी की वाशिंग मशीन में धुलकर बाहर निकल जाएं।’’

जेएमएम की इस रैली में तत्कालीन मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, जेएमएम के विधायक निरल पूर्ति, सुखराम उरांव समेत कई नेता भी मौजूद थे।

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दीपक बिरूआ अपने भाषण में जब बीजेपी की वाशिंग मशीन को लेकर बोल रहे थे, तब रैली में शामिल भीड़ तालियां बजा रही थी। इसी रैली में जेएमएम विधायक निरल पूर्ति ने कहा था 25 सालों से इस क्षेत्र में कोड़ा दंपती के साम्राज्य को और चलने नहीं दिया जाएगा।’’

राजनीतिक हलके में इन बयानों के मायने भी निकाले जाते रहे हैं। यह भी माना जाता रहा है कि जेएमएम कोड़ा को निशाना बनाकर भाजपा पर पलटवार करने का दांव चूकना नहीं चाहता।

इसके बाद से कई मौके पर सत्तारूढ़ जेएमएम और कांग्रेस के नेता अक्सर कोड़ा को लेकर बीजेपी पर तंज कसते रहे हैं। दूसरी तरफ़ कथित तौर पर ‘वाशिंग मशीन’ और कोड़ा पर लगे आरोपों को लेकर जेएमएम नेताओं के भाषण और टिप्पणियों पर बीजेपी के नेता भी तीखी प्रतिक्रकियाएं जाहिर कर चुके हैं।

गीता कोड़ा अभी प्रदेश बीजेपी की प्रवक्ता भी हैं और वे भी इन बातों पर जोर देती रही हैं कि उन्हें और उनके पति मधु कोड़ा को हमेशा से न्यायालय पर भरोसा रहा है।

बाक़ी, सिंहभूम की जनता खासकर आदिवासियों का विश्वास हम दोनों पर अगर कायम रहा है, तो इसकी एक मुख्य वजह है कि दिन- रात जनता के बीच रहना। और उनके लिए काम करना। साथ ही विकास को प्राथमिकता देना। 

गौरतलब है कि मधु कोड़ा जब मुख्यमंत्री रहते करोड़ों के घपले- घोटाले में फँसे थे, तब बीजेपी नेता सरयू राय ने ‘कोड़ा लूट राज’ नामक एक किताब भी लिखी थी। जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय हाल ही में बीजेपी की सहयोगी जदयू में शामिल हुए हैं। साथ ही अगले महीने होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में जदयू भी शामिल है।

पंद्रह सालों से केस- मुक़दमे

पंद्रह सालों से मधु कोड़ा केस- मुक़दमों से जुड़े सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग की कार्रवाई का सामना करते रहे हैं। फिलहाल मधु कोड़ा जमानत पर हैं। पिछले साल 8 नवंबर को झारखंड हाइकोर्ट से मनी लाउंड्रिंग से जुड़े मामले में उन्हें राहत भी मिली है।

इससे पहले 30 नवंबर 2009 को सिंहभूम के तत्कालीन सांसद को कथित आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही उनका राजनीतिक सफर अर्श से फर्श पर जा गिरा। गिरफ्तारी के बाद वे क़रीब 44 महीने तक जेल में भी रहे हैं। कोड़ा और उनके सहयोगियों पर कथित तौर पर अवैध रूप से खनन सौदों में दलाली करके करीब 4,000 करोड़ रुपये जमा करने का आरोप था।

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राजनीति में फर्श से अर्श पर

ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले कोड़ा का सार्वजनिक जीवन उतार- चढ़ाव से भरा रहा है। साल 2000 में वे बीजेपी के टिकट से जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीते।

इसी साल तत्कालीन अविभाजित बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद वे बाबूलाल मरांडी की सरकार में मंत्री भी बने। 2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वे निर्दलीय लड़े और चुनाव जीते।

इसके बाद एक बेहद अहम और नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बीच उन्होंने 2006 में अर्जुन मुंडा सरकार का तख्ता पलट कर दिया। एक निर्दलीय विधायक रहते हुए जेएमएम, कांग्रेस, राजद के सहयोग से मधु कोड़ा ने सत्ता की बागडोर संभाली। इस तरह सीएम बनने के कारण उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

हालाँकि अलग-अलग विवादों और कथित तौर पर गड़बड़ियों-घपले के मामले को लेकर जेएमएम ने कोड़ा सरकार से 2008 में समर्थन वापस ले लिया था। 2009 में अपनी गिरफ्तारी से पहले मधु कोड़ा ने सिंहभूम संसदीय सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर अपना दमखम मनवाया था। लेकिन करप्शन के मामले से अब तक वे उबर नहीं सके हैं। राजनीति में सक्रियता के बाद भी उनके लिए चुनाव लड़ने का रास्ता नहीं खुलता दिख रहा।

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नीरज सिन्हा
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