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प्रतीकात्मक तसवीर।

टारगेट किलिंग में एक और कश्मीरी पंडित की हत्या

आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में एक कश्मीरी पंडित को आज फिर से निशाना बनाया और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। यह घटना शोपियां जिले में घटी। 

अधिकारियों का कहना है कि पूरन कृष्ण भट पर दक्षिण कश्मीर जिले के चौधरी गुंड इलाक़े में उनके आवास के पास हमला किया गया था। उन्होंने कहा कि जब भट को शोपियां अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका कहना है कि इलाक़े की घेराबंदी कर दी गई है और अपराधियों को पकड़ने के लिए तलाश शुरू कर दी गई है।

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रिपोर्ट के अनुसार भट के स्कूल जाने वाले दो बच्चे हैं। एनडीटीवी ने एक एक रिश्तेदार के हवाले से रिपोर्ट दी है कि एक लड़की जो कक्षा 7 में पढ़ती है और एक छोटा लड़का जो कक्षा 5 में है। उन्होंने कहा, 'वह अपने घर से बाहर भी नहीं निकलते थे, घर के अंदर ही रहते थे। हम बहुत डरे हुए हैं।'

शोपियाँ जिले में ही कुछ महीने पहले सेब के एक बाग में आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पहचान सुनील कुमार के रूप में हुई थी। 16 अगस्त को हुए हमले में उसका भाई पिंटू कुमार घायल हो गया था। अगस्त के हमले की ज़िम्मेदारी अल बद्र की एक शाखा 'कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स' ने ली थी। उसमें कहा गया था कि दोनों भाइयों को स्वतंत्रता दिवस से पहले 'तिरंगा रैलियों' में भाग लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए निशाना बनाया गया था।

तब मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि 'मल्टी-एजेंसी सेंटर' की खुफिया जानकारी साझा करने वाले देश के शीर्ष निकाय के इनपुट के आधार पर सरकार इस तरह की और हिंसा के लिए तैयार थी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने तब कहा था, 'नियमित इनपुट हैं जो बताते हैं कि सीमा पार से बड़ी मात्रा में छोटे हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी की गई है, और यह एक स्पष्ट संकेतक है कि इस तरह के लक्षित हत्या और ग्रेनेड फेंकने के अलग-अलग मामलों में आने वाले दिनों में वृद्धि होगी।'
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आतंकियों ने 11 अगस्त की रात को बांदीपोरा में एक प्रवासी मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। प्रवासी मजदूर मोहम्मद अमरेज बिहार के मधेपुरा का रहने वाला था। आतंकियों ने अमरेज को बांदीपोरा के अजास इलाक़े में गोली मारी थी। इससे पहले राजौरी में आतंकियों ने सेना के शिविर पर आत्मघाती हमला किया था, जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकवादी भी मारे गए थे। 

लगातार हो रही टारगेट किलिंग 

कुछ महीने पहले पुलवामा में एक आतंकी हमले के दौरान बिहार के एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद मुमताज की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे। घायल मजदूर मोहम्मद आरिफ और मोहम्मद मकबूल भी बिहार के ही थे। 

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जून में बडगाम के चढूरा गांव में आतंकियों ने दो मजदूरों को गोली मार दी थी। इसके अलावा कुलगाम में एक बैंक मैनेजर विजय कुमार की आतंकियों ने बैंक में घुसकर हत्या कर दी थी। विजय कुमार राजस्थान के रहने वाले थे। 31 मई को कुलगाम के सरकारी स्कूल में टीचर रजनीबाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बिहार के मज़दूर दिलखुश कुमार और बडगाम जिले की सोशल मीडिया पर सक्रिय कलाकार अमरीन भट्ट की भी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 

कश्मीर में पिछले साल अक्टूबर से लक्षित हत्याओं की एक श्रृंखला देखी जा रही है। पीड़ितों में से कई प्रवासी श्रमिक या कश्मीरी पंडित हैं।

पिछले साल अक्टूबर में पांच दिनों में सात नागरिक मारे गए थे जिनमें एक कश्मीरी पंडित, एक सिख और दो प्रवासी हिंदू शामिल थे।

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क़मर वहीद नक़वी
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