कारण क्या है?
इनमें से दो संगठन चैरिटी अलायंस और ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन दिल्ली में हैं, बाकी सभी संगठन जम्मू-कश्मीर में हैं।
ज़फ़र-उल-इसलाम ख़ान मिल्ली गज़ट के संस्थापक संपादक और चैरिटी अलायंस के अध्यक्ष हैं।
एनआईए का कहना है कि 'टेरर फंडिंग' यानी आतंकवादी गतिविधियों को पैसे देने के मामले में ये संस्थान शामिल हैं, इसलिए उनके यहां छापे मारे गए हैं।
निशाने पर कश्मीरी संगठन
एनआईए ने मंगलवार को जिन व्यक्तियों से जुड़ी जगहों पर छापे मारे थे, उनमें 'जम्मू-कश्मीर सिविल सोसाइटी' के संयोजक ख़ुर्रम परवेज़, उनके सहयोगी परवेज़ अहमद बुख़ारी, परवेज़ अहमद मट्टा के नाम शामिल हैं। इनके अलावा 'एसोशिएसन ऑफ़ पैरेंट्स ऑफ़ डिसअपीयर्ड पर्सन्स' की प्रमुख परवीन अहंगर के यहां भी छापे मारे गए थे। एनआईए ने 'ग्रेटर कश्मीर ट्रस्ट' और एक अन्य ग़ैर-सरकारी संगठन के ठिकानों पर भी छापे मारे थे।NIA raids on human rights activist Khurram Parvez & Greater Kashmir office in Srinagar is yet another example of GOIs vicious crackdown on freedom of expression & dissent. Sadly, NIA has become BJPs pet agency to intimidate & browbeat those who refuse to fall in line
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 28, 2020
कश्मीर में एनआईए
जम्मू-कश्मीर से पत्रकार हारून रेशी का कहना है कि दो साल पहले एजेंसी ने अलगाववादी नेताओं के ख़िलाफ़ वित्तीय गड़बड़ियों के आपराधिक मामले दर्ज किए थे और एक दर्जन से अधिक नेताओं और व्यापारियों को जेल में डाल दिया था। ये सभी फिलहाल जेल में हैं और उनके ख़िलाफ़ अदालतों में सुनवाई चल रही है।महबूबा ने कहा था कि उनकी पार्टी के नेताओं को भ्रष्टाचार के झूठे मामले दर्ज करने की धमकी दी जा रही है। उनकी पार्टी के नेताओं को कहा जा रहा है कि अगर उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी, तो उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए जाएंगे और जाँच एनआईए से कराई जाएगी।
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