श्रीनगर की गुपकार रोड से दिल्ली के लोक कल्याण मार्ग तक के सफ़र को मंज़िल तक पहुंचने में 22 महीने का वक्त लग गया, लेकिन यदि अब भी दिल्ली दरबार के दरवाज़े कश्मीर के लोगों की आवाज़ सुनने के लिए खुले हैं तो कह सकते हैं कि देर आयद दुरस्त आयद। जम्हूरियत में आगे बढ़ने और मंज़िल को हासिल करने का एक ही रास्ता है जनता के नुमाइंदों से बातचीत और उनके मन की बात सुनने की कोशिश।