जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्या शांति बहाल हो गई है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके हटाए जाने की दूसरी वर्षगांठ पर तो कहा था कि जम्मू और कश्मीर में अभूतपूर्व शांति और प्रगति हुई है। अभी कुछ दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने भी घाटी में शांति की बात की है। लेकिन क्या गृह मंत्रालय के आँकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं?
पिछले हफ्ते संसद में गृह मंत्रालय द्वारा आँकड़ा उपलब्ध कराया गया। वह आँकड़ा जम्मू-कश्मीर पुलिस के पास है। इससे पता चलता है कि 5 अगस्त, 2019 से केंद्रशासित प्रदेश में आतंकवादी हमले में हर महीने मृतकों की संख्या औसतन 3.2 रही है, जबकि इससे पहले के पाँच वर्षों में हर महीने मृतकों की संख्या औसतन 2.8 रही थी।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में मारे गए सेना के जवानों की संख्या 1.7 प्रति माह है जबकि इससे पहले 2.8 प्रति माह रही थी।
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2014 और 5 अगस्त, 2019 के बीच 63 महीने की अवधि में हमलों में 177 नागरिक मारे गए। उसके बाद के 27 महीनों में नवंबर तक 87 नागरिक मारे गए। उनमें से 40 से ज़्यादा अकेले इसी साल मारे गए हैं। इस तरह हर महीने नागरिकों के मारे जाने का औसत 5 अगस्त 2019 के बाद कहीं ज़्यादा है।
गृह मंत्रालय के आँकड़े भले ही ऐसी तसवीर पेश करते हों, लेकिन सरकार का कुछ और ही मानना है। इसी साल 5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा था, 'एक ऐतिहासिक दिन। दो साल पहले नये जम्मू कश्मीर की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाया गया था। तब से इस क्षेत्र में अभूतपूर्व शांति और प्रगति हुई है।'
A historic day. Two years ago, on this day, the first big step towards a #NewJammuKashmir was taken.
— narendramodi_in (@narendramodi_in) August 5, 2021
Since then, there has been unprecedented peace & progress in the region.
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हालाँकि अब गृह मंत्रालय ने जो आँकड़े संसद में रखे हैं उस आँकड़े को रखते हुए भी इसने दावा किया कि आतंकी हमले कम हुए हैं। 1 दिसंबर को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले कम होने पर जोर देते हुए आँकड़े पेश किए थे।
उन्होंने कहा कि जहाँ 2019 में जम्मू-कश्मीर में 255 आतंकी घटनाएँ हुई थीं, वहीं 2020 में 244 घटनाएँ हुईं। इस साल तो यह आंकड़ा 200 को पार कर गया है।
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