पेट्रोल डीजल की क़ीमतें बढ़ोतरी को लेकर हंगामा हो रहा है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि कोरोना संकट की स्थिति में भी सरकार अपने नागरिकों से भारी मुनाफ़ा कमा रही है। सरकार पर यह आरोप आख़िर क्यों लग रहे हैं? और क्या है वास्तविक स्थिति?
पेट्रोल-डीजल से क्या मुनाफ़ा कमा रही है सरकार?
- अर्थतंत्र
- |
- 29 Jun, 2020
पेट्रोल-डीजल के दाम हाल के दिनों में लगातार बढ़ते रहे हैं। दिल्ली में पेट्रोल और डीजल क़रीब 80 रुपये प्रति लीटर हो गये। ऐसा तब है जब कच्चे तेल के दाम कम हुए हैं।

फ़िलहाल, दिल्ली में पेट्रोल और डीजल क़रीब 80-80 रुपये प्रति लीटर है। देश के हर राज्य में क़ीमतें इसके आसपास ही हैं। यही पेट्रोल और डीजल 2014 में क्रमश: क़रीब 47 और 44 रुपये प्रति लीटर था। ऐसे में तर्क दिया जा सकता है कि पिछले छह साल में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से कच्चे तेल को ख़रीदना इतना महँगा हो गया होगा कि इनकी क़ीमतें इस स्तर तक पहुँच गई होंगी। यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप पूरी तरह ग़लत हैं। दरअसल, कच्चे तेल की क़ीमतें 2014 में आज से ढाई गुना ज़्यादा महँगी थीं, फिर भी पेट्रोल और डीजल आज की अपेक्षा 2014 में काफ़ी ज़्यादा सस्ते थे। कच्चे तेल का दाम मई 2014 में औसत रूप से 106.85 डॉलर प्रति बैरल था, जबकि अब यह काफ़ी नीचे आ गया है।