जो लोग यह मुग़ालता पालते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जिगरी दोस्त है, उन्हे ग़लतफ़हमी दूर कर लेनी चाहिये। ट्रंप और अमेरिका दोनों मतलब के यार हैं। ट्रंप एक तरफ़ तो मोदी को अपना दोस्त बताते हैं दूसरी तरफ़ वह भारत को किसी भी तरह की तकलीफ़ देने से नहीं चूकते। इसकी ताज़ा मिसाल है - अमेरिकी कंपनियों की ऑनलाइन बिक्री और विज्ञापन पर होने वाली कमाई पर टैक्स लगाने के मुद्दे पर भारत की जाँच करने का आदेश ट्रंप प्रशासन ने दिया है।
यह आदेश ठीक उसी दिन दिया गया है, जिस दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफ़ोन पर बात की, उन्हें जी-7 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने का न्योता दिया और चीन के साथ चल रहे तनाव पर बात की।
निशाने पर भारत
अमेरिकी प्रशासन ने बीते साल इसी तरह की जाँच का आदेश फ्रांस के ख़िलाफ़ दिया था। इस बार भारत, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और तुर्की निशाने पर हैं। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटीज़र ने एक बयान में कहा,
“
‘राष्ट्रपति ट्रंप इस पर चिंतित हैं कि हमारे व्यापार साझेदार वैसी टैक्स नीतियाँ अपनाते हैं, जिससे हमारी कंपनियों को अनुचित तरीके से निशाना बनाया जाता है।’
रॉबर्ट लाइटीज़र, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अपने व्यापारिक हितों और श्रमिकों के हितों का ख्याल रखेगा और उनके ख़िलाफ़ भेदभाव नहीं होने देगा।
अमेरिका इसके ख़िलाफ़ है कि ऑनलाइन बिक्री और विज्ञापन से होने वाली कमाई पर किसी तरह का टैक्स लगाया जाए। उसका कहना है कि गूगल, अमेज़ॉन, फ़ेसबुक, एपल और नेटफ़्लिक्स इसके निशाने पर होते हैं।
फ्रांस के साथ भी
फ्रांस ने 2019 में इस तरह का कर अमेरिकी ऑनलाइन कंपनियों पर लगाया तो अमेरिका ने इसी तरह जांच की थी और उसका विरोध किया था। व्यापार प्रतिनिधि ने इसे अमेरिकी हितों के ख़िलाफ़ माना था और बदले की कार्रवाई करने की धमकी फ्रांस को दी थी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अमेरिका फ्रांसीसी शैंपेन और कैमेमबर्त चीज़ पर सौ प्रतिशत कर लगा देगा। ट्रंप प्रशासन के लिए यह कोई नई बात नहीं है। डोनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के पहले ही अमेरिका फ़र्स्ट की नीति अपनाने की बात कही थी। पद संभालने के बाद उन्होंने इस नीति को इतनी सख़्ती से लागू किया कि मेक्सिको, चीन, भारत समेत कई देशों से उसके व्यापारिक रिश्ते खराब हुए।
पहले भी निशाने पर रहा है भारत
अमेरिका ने पहले भी भारतीय व्यापार को निशाने पर रखा है। ट्रंप प्रशासन ने पहले भारत को जनरलाइज्ड प्रीफरेंशियल लिस्ट से बाहर कर दिया, यानी भारतीय आयात को मिलने वाली विशेष छूट देना बंद कर दिया। उसके बाद भारत को किसी तरह का अनुदान देना बंद कर दिया, उसका तर्क है कि भारत उसके साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार में होड़ करता है तो उसे कोई छूट या अनुदान क्यों दिया जाए।
इसके बाद अमेरिका ने कुछ भारतीय उत्पादों पर आयात कर बढ़ा दिया। इसके बदले में भारत ने भी अमेरिकी उत्पादों पर कर थोप दिया। दोनोें देशों के बीच व्यापार रिशते बेदह तल्ख़ हो चले थे।
इस परिप्रेक्ष्य में ट्रंप प्रशासन के इस कदम को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। अब यह साफ है कि अमेरिका भारत पर दबाव बनाएगा और इसके उत्पादों पर कुछ अतिरिक्त कर लगा देगा ताकि भारत दबाव में आ जाए।
इसे इससे भी समझा जा सकता है कि कोरोना संकट के दौरान भी अमेरिकी प्रशासन बाज नहीं आया। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को धमकाया कि यदि उसे हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन की दवा नही दी तो वह भारत के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई करेंगे।
उस समय तक क्लोरोक्विन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। भारत इस अमेरिकी दबाव में आ गया और कुछ घंटों के अंदर ही उसने क्लोरोक्विन की दवा के निर्यात पर लगी रोक हटा ली। भारत ने अमेरिका को 2.90 करोड़ टिकिया इस दवा की दीं।
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