क्या कोरोना महामारी के समय संकट की आड़ में मज़दूरों का हक़ छीना जा सकता है? क्या जिस समय समाज के वंचित तबक़े को सहारे की ज़रूरत है, उनसे उनकी बची-खुची सुरक्षा भी छीनी जा सकती है?