पिछले साल जनवरी में जब यह रिपोर्ट आई थी कि देश में बेरोज़गारी दर 6.1 फ़ीसदी हो गई है और यह 45 साल में सबसे ज़्यादा है तो लगा था कि इस पर सरकार नये सिरे से ध्यान देगी और स्थिति सुधरेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दिसंबर महीने में बेरोज़गारी दर 7.6 फ़ीसदी रही है। इसका साफ़ मतलब यह है कि बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियाँ गई हैं। इसका एक मतलब यह भी है कि सरकार की तरफ़ से नयी नौकरियों के जो दावे किए गए वे बेहद ही मामूली होंगी। हाल की एक मीडिया रिपोर्ट में भी कुछ ऐसा ही आँकड़ा आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पाँच साल में सात प्रमुख सेक्टरों से 3.64 करोड़ लोगों की नौकरियाँ चली गईं। यानी इतने लोग सीधे-सीधे बेरोज़गार हो गए।
'सात सेक्टरों में ही 5 साल में 3.64 करोड़ नौकरियाँ गईं', आगे क्या होगा?
- अर्थतंत्र
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- 29 Mar, 2025

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पाँच साल में सात प्रमुख सेक्टरों से 3.64 करोड़ लोगों की नौकरियाँ चली गईं। यानी इतने लोग सीधे-सीधे बेरोज़गार हो गए।
अब आने वाले समय में क्या होगा, इसकी भी उम्मीद सकारात्मक नहीं दिखती क्योंकि अर्थव्यवस्था के किसी भी मोर्चे पर कोई ख़ास सुधार होता नहीं दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि की दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई। ऐसा तब है जब आरबीआई ने 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर 6.1 का अनुमान लगाया था। अब इसी आरबीआई ने दूसरी छमाही की रिपोर्ट आने के बाद जीडीपी विकास दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दिया है। इसका मतलब साफ़ है कि स्थिति के अभी सुधरने की गुँज़ाइश नहीं है, बल्कि ख़राब ही होगी।