आर्थिक मंदी के बीच सरकार और वित्त मंत्रालय की अजीब छटपटाहट है। हाल ही में कर उगाही कम होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए बड़े व्यवसायी घरानों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की गई थी, लेकिन अब उसी कर उगाही को बढ़ाने के लिए सरकार अफ़सरों को टारगेट दे रही है। है न अजीबोगरीब बात!
टैक्स दर घटाई तो अफ़सरों को ज़्यादा टैक्स वसूली का टारगेट क्यों?
- अर्थतंत्र
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- 18 Dec, 2019
हाल ही में कर उगाही कम होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए बड़े व्यवसायी घरानों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की गई थी, लेकिन अब उसी कर उगाही को बढ़ाने के लिए सरकार अफ़सरों को टारगेट दे रही है।

पिछले कुछ महीनों से डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर और इनडायरेक्ट टैक्स यानी अप्रत्यक्ष कर वसूली में काफ़ी कमी आई है और यह केंद्र व राज्य सरकारों के लिए बड़ी चिंता की बात है। कर उगाही का यह टारगेट डायरेक्ट टैक्स यानी लोगों की आय पर लगने वाला कर और इनडायरेक्ट टैक्स यानी सामान ख़रीदने या सेवाओं पर लगने वाला कर दोनों के लिए है। केंद्र की जीएसटी उगाही अप्रैल-नवंबर में लक्ष्य से 40 फ़ीसदी कम हुआ है और यह सिर्फ़ 3.28 लाख करोड़ रुपये ही रहा है जबकि टारगेट 5.26 लाख करोड़ का था। डायरेक्ट टैक्स की वसूली तो 13.35 लाख करोड़ के लक्ष्य का 41.7 फ़ीसदी यानी 5.56 लाख करोड़ रुपये ही हो पाई।