अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी क्रिसिल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के विशेष आर्थिक पैकेज पर गंभीर सवाल उठाये हैं और संकेत दिया है कि इससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में बहुत मदद नहीं मिलेगी।
हालाँकि क्रिसिल ने मंगलवार को यह भी कहा है कि ज़्यादातर कदम सही दिशा में उठाए गए हैं, लेकिन इस पैकेज से माँग और खपत नहीं बढ़ेगी। इस पैकेज में आपूर्ति पर ही अधिक ध्यान दिया गया है।
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क्या है मतलब?
बता दें कोई भी अर्थव्यवस्था आगे तभी बढ़ती है जब उसकी खपत बढ़ती है, क्योंकि खपत बढने से माँग बढ़ती है और माँग बढ़ने से उत्पादन बढ़ता है। उत्पादन बढ़ने से सेवा क्षेत्र को बल मिलता है और उत्पादन से जुड़े तमाम क्षेत्र सक्रिय हो जाते हैं। धीरे धीरे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ने लगती है।लेकिन क्रिसिल के अनुसार, इस पैकेज से खपत या माँग बढ़ने की बहुत अधिक गुंजाइश नहीं है।क्रिसिल ने इस पर भी चिंता जताई है कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों पर पैकेज में ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। एअरलाइन्स, पर्यटन और होटल सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं और इनके लिए पैकेज में कुछ ख़ास नहीं है।
क्रिसिल ने यह भी कहा है कि बाहर से देखने में यह जितना बड़ा पैकेज लगता है, उतना प्रभावी नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि इसकी ज़्यादातर घोषणाएं गारंटी के रूप में हैं।
रेटिंग एजेन्सी ने कहा कि सरकार की वित्तीय स्थिति को देखते हुए ही इस पैकेज में गारंटी की अधिक व्यवस्था की गई है और हर रुपये को बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश की गई है।
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