महँगाई बेकाबू है और यह लगातार बढ़ती जा रही है। गिरती विकास दर के बीच ही अब रिपोर्ट आई है कि जनवरी में ख़ुदरा महँगाई दर छह साल में सबसे ज़्यादा होकर 7.59 पर पहुँच गई है। इससे पहले मई 2014 में महँगाई इतनी ज़्यादा थी। इसका साफ़ मतलब यह है कि ख़ुदरा में सामान खरीदना आम लोगों के लिए पहुँच से बाहर होता जा रहा है। इससे पहले दिसंबर महीने की रिपोर्ट आई थी कि रिटेल इन्फ़्लेशन यानी ख़ुदरा महँगाई दर 7.35 फ़ीसदी पहुँच गई है। महँगाई दिसंबर महीने में ही आरबीआई द्वारा तय ऊपरी सीमा से ज़्यादा हो गई थी। बता दें कि रिज़र्व बैंक ने 2-6 फ़ीसदी की सीमा तय कर रखी है कि महँगाई दर को इससे ज़्यादा नहीं बढ़ने देना है। इसका साफ़ मतलब है कि महँगाई दर ख़तरे के निशान को पार कर गई है और यह लगातार बढ़ती ही जा रही है।