भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने कहा है कि 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर होने की घोषणा किए जाने के बाद से अब तक 50 फ़ीसदी नोट वापस आरबीआई में पहुँच गए हैं।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि 31 मार्च 2023 तक प्रचलन में 2000 रुपये के कुल 3.62 लाख नोट थे। इसमें से लगभग 50 फ़ीसदी यानी 1.80 करोड़ नोट वापस आ गए हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि 2000 रुपये के कुल नोटों में से क़रीब 85% जमा के रूप में बैंकों में वापस आ रहे हैं और बाकी नोट विनिमय यानी बदलने के लिए आ रहे हैं।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि लोग जल्द से जल्द ये नोट बैंकों में जमा कर दें या फिर बदलवा लें। उन्होंने इसके लिए आखिरी समय में भीड़भाड़ से बचने की अपील भी की। नोटों को 30 सितंबर तक बैंकों में जमा या बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास विनिमय के लिए पर्याप्त मुद्रा उपलब्ध है।
बता दें कि आरबीआई ने इसी साल 19 मई को 2,000 रुपये के बैंक नोट सर्कुलेशन से वापस लेने का फ़ैसला किया था। आरबीआई ने सभी को 30 सितंबर, 2023 तक उन्हें बदलने के लिए कहा है। हालाँकि, 2,000 रुपए के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे। यानी ये नोट अमान्य नहीं होंगे जैसा कि पिछली बार नोटबंदी में किया गया था।
आरबीआई की इस घोषणा के बाद सवाल उठे कि आख़िर यह क़दम क्यों उठाया गया। यह भी आरोप लगाया गया कि क्या इस तरीक़े का फ़ैसला कालेधन को सफेद करने में मददगार नहीं होगा?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार के 2000 रुपये के नोट वापस लिए जाने के नियमों को तो कालेधन वालों के लिए सुविधाजनक बताया था। उन्होंने कहा था कि अब इन लोगों को अपनी मुद्रा बदलने के लिए रेड कार्पेट बिछा दिया गया है। उन्होंने दलील दी कि 2000 रुपये के नोट अब साधारण लोगों के पास नहीं हैं और ये नोट अब कालेधन वाले लोगों के पास हैं।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा था, 'बैंकों ने साफ़ किया है कि 2000 रुपए के नोट बदलने के लिए किसी पहचान पत्र, फॉर्म और किसी प्रमाण की ज़रूरत नहीं होगी। भाजपा का यह तर्क कि कालेधन का पता लगाने के लिए 2000 रुपये के नोटों को वापस लिया जा रहा है, ध्वस्त हो गया है। साधारण लोगों के पास 2000 रुपए के नोट नहीं हैं। 2016 में पेश किए जाने के तुरंत बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया। ये नोट दैनिक खुदरा विनिमय के लिए बेकार थे।'
उन्होंने कहा था, 'तो 2000 रुपये के नोट किसने रखे और उनका इस्तेमाल किया? आप जवाब जानते हैं। 2000 रुपये के नोट ने केवल कालाधन रखने वालों को आसानी से अपना पैसा जमा करने में मदद की। 2000 रुपये के नोट रखने वालों का अपने नोट बदलने के लिए रेड कार्पेट पर स्वागत किया जा रहा है! कालेधन को जड़ से खत्म करने के सरकार के घोषित उद्देश्य के लिए बहुत कुछ है...।'
पी चिदंबरम के इस ट्वीट का एक अर्थ यह भी निकलता है कि 2000 रुपये के नोट को बदलने के मौजूदा नियम से 'कालेधन' को 'सफेद' करने का मौक़ा दिया जा रहा है! यह आरोप वैसा ही है जैसे 2016 की नोटबंदी के दौरान मोदी सरकार पर लगे थे। वैसे, खुद प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी को भ्रष्टाचार और कालेधन को ख़त्म करने वाला बताया था।
लेकिन तथ्य यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार ही 2016 की नोटबंदी के बाद 99 प्रतिशत से अधिक यानी क़रीब पूरा पैसा बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गया था जिसे अमान्य क़रार दे दिया गया था। वर्ष 2016 में 15.41 लाख करोड़ रुपये के जो नोट अमान्य हो गए थे, उनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट वापस आ गए थे। यानी पहले जो बड़े पैमाने पर कालाधन का दावा किया गया था, वो क़रीब-क़रीब सभी बैंकों में पहुँच गया। यानी 'कालाधन' 'सफेद' हो गया! नोटबंदी की कवायद के बाद से कितना कालाधन बरामद हुआ है? इस पर अब तक कोई आँकड़ा सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है। हालाँकि फरवरी 2019 में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने संसद को बताया था कि नोटबंदी सहित विभिन्न काला धन विरोधी उपायों के माध्यम से काला धन के रूप में 1.3 लाख करोड़ रुपये की वसूली की गई है।
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