देश की अर्थव्यवस्था में बहुत कुछ गड़बड़ चल रहा है इसकी कहानी तो समय-समय पर आने वाले आँकड़े बयाँ कर रहे हैं, लेकिन इस अर्थव्यवस्था की 'चौकीदारी' या यूँ कह लें कि उसका संतुलन बनाने का काम करने वाली संस्था आरबीआई में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। दिसंबर 2018 में गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफ़े ने जहाँ सबको चौंका दिया था अब डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफ़े ने नया धमाका कर दिया है। आचार्य के इस्तीफ़े की बातें उर्जित पटेल के इस्तीफ़े के समय भी उठी थी। लेकिन अब यह साफ़ हो गया है कि वह भी आरबीआई छोड़ रहे हैं। आरबीआई गवर्नर का कार्यकाल सिर्फ़ 3 साल का होता है और उर्जित पटेल ने कार्यकाल पूरा होने के 9 महीने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था। उर्जित पटेल से पहले गवर्नर रघुराम राजन और उस समय चुनकर आयी नरेंद्र मोदी की नयी सरकार के बीच टकराव का एक अध्याय हो चुका था। इसलिए जब पटेल ने इस्तीफ़ा दिया तो यह सवाल उठने लगे कि क्या सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को चुनौती दे रही है?

दिसंबर 2018 में गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफ़े ने जहाँ सबको चौंका दिया था अब डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफ़े ने नया धमाका कर दिया है। कार्यकाल पूरा होने से पहले क्यों दिया इस्तीफ़ा, क्या कोई दबाव था?