भारत के बैंकिंग क़ारोबार में बड़ी खलबली की तैयारी है। रिज़र्व बैंक के एक समूह ने राय दी है कि देश के बड़े उद्योग घरानों को बैंकिंग लाइसेंस दिए जा सकते हैं। यानी अब टाटा, बिड़ला, अंबानी, अडानी और ऐसे ही अनेक दूसरे बड़े सेठ अपने-अपने बैंक खोल सकते हैं। यही नहीं, रिज़र्व बैंक के इस वर्किंग ग्रुप ने जो सुझाव दिए हैं वो मान लिए गए तो फिर बजाज फ़ाइनेंस, एलएंडटी फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ या महिंद्रा समूह की एमएंडएम फ़ाइनेंशियल जैसी एनबीएफ़सी कंपनियाँ सीधे बैंक में तब्दील हो सकेंगी। इनके अलावा भी अनेक एनबीएफ़सी कंपनियों के बैंक बनने का रास्ता खुल जाएगा जिनकी कुल संपत्ति पचास हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा हो और जिन्हें दस साल का अनुभव हो। रिज़र्व बैंक ने इस रिपोर्ट पर सुझाव माँगे हैं जो पंद्रह जनवरी तक दिए जा सकते हैं और उसके बाद बैंक अपना फ़ैसला करेगा।

राजन और आचार्य का कहना है कि बड़े बिजनेस घरानों को पूंजी की ज़रूरत पड़ती रहती है और अगर उनका अपना बैंक भी हो तो इसका इंतज़ाम करना आसान हो जाता है। वह कहते हैं कि ऐसे लेनदेन के रिश्तों का इतिहास बहुत विनाशकारी रहा है। आप उम्मीद भी कैसे कर सकते हैं कि कर्ज वापस आएगा जब देनदार ही बैंक का मालिक है?