भारत की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब क्यों है? ख़पत लगातार कम क्यों बनी हुई है? क्या लोगों ने ज़रूरत की चीजों में ही कटौती करनी शुरू कर दी है? क्या ऐसा इस वजह से नहीं है कि लोगों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी है? कम से कम एक रिपोर्ट ने तो ऐसे ही संकेत दिए हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियों का मुनाफ़ा भले ही 15 साल के रिकॉर्ड स्तर पर है, लेकिन इन कंपनियों में काम करने वाले लोगों की सैलरी वैसी नहीं बढ़ी है। बढ़ी भी है तो नाम मात्र की। यानी जितनी महंगाई बढ़ी है उसके अनुरूप भी सैलरी नहीं बढ़ पाई है। ऐसे में यह समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं होना चाहिए कि ख़पत आख़िर क्यों नहीं बढ़ रही है।