बीजेपी शासित दो राज्यों में बिजली के दो ऐसे टेंडर निकले हैं कि इसपर सवाल खड़े होने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार बिजली आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर रहे दो भाजपा शासित राज्यों ने एक जैसे बोली मानदंड तैयार किए हैं। ये मानदंड अडानी समूह की बिजली उत्पादन क्षमताओं और योजनाओं के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं। वैसे, यहाँ तक तो ज़्यादा गड़बड़ी नज़र नहीं आती है, लेकिन मानदंडों में टेंडर के लिए जो नियम तय किए गए हैं उसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या टेंडर में प्रतियोगिता को हतोत्साहित करने वाले नियम बनाए गए?
क्या अडानी समूह को ध्यान में रख भाजपा शासित राज्यों ने निकाले बिजली टेंडर?
- अर्थतंत्र
- |
- 23 Sep, 2024
विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और अडानी के बीच संबंधों को लेकर हमला किए जाने के बीच अब बीजेपी शासित दो राज्यों में बिजली के टेंडर मिलने से क्या ये आरोप और भी ज़्यादा लगेंगे?

दरअसल, महाराष्ट्र और राजस्थान ने एक के बाद एक टेंडर जारी किए हैं। द रिपोर्टर्स कलेक्टिव की रिपोर्ट के अनुसार इसमें ऐसे बिजली उत्पादकों को बुलाया गया है जो 25 साल तक बिजली की आपूर्ति कर सकें। दोनों टेंडरों में एक मुख्य मानदंड यह था कि उत्पादक के पास सौर और ताप बिजली संयंत्रों से बिजली उत्पादन करने की क्षमता होनी चाहिए। टेंडर में कहा गया कि केवल वही बिजली उत्पादक प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं जो एक साथ विशाल ताप और सौर क्षमता रखते हैं। टेंडर में बिजली उत्पादन क्षमता भी इतनी ज़्यादा रखी गयी है कि छोटे और नये खिलाड़ी टेंडर प्रक्रिया से ही बाहर हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि टेंडर के ऐसे नियमों से राज्य सरकारों ने अडानी समूह के लिए प्रतिस्पर्धा को कम कर दिया।