बिना सोचे समझे फ़ैसले करने, तुग़लकी फ़रमान जारी करने और यू-टर्न लेने के नरेंद्र मोदी सरकार की एक और बानगी सामने आई है। रिज़र्व बैंक 2,000 रुपये के नोट छापना बंद कर देगा, क्योंकि सरकार को लगता है कि इस नोट का इस्तेमाल काला धन जमा करने, कर चुराने और ग़ैरक़ानूनी तरीके से पैसे बाहर भेजने में होता है। हालांकि, यह नोट वैध करेंसी बना रहेगा, पर इसे धीरे-धीरे बाज़ार से वापस ले लिया जाएगा।
मोदी सरकार का यू-टर्न, 2,000 रुपये के नोट नहीं छापेगा रिज़र्व बैंक
- अर्थतंत्र
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- 3 Jan, 2019
मोदी सरकार का कहना है कि 2,000 रुपये के नोट से काला धन बढ़ता है, लिहाज़ा, रिज़र्व बैंक यह नोट छापना बंद कर देगा। सरकार ने इसकी शुरुआत ही क्यों की थी?

फ़िलहाल 2,000 रुपये का जितने नोट बाज़ार में हैं, उनका कुल मान 6.73 लाख करोड़ रुपये है। यह कुल मुद्रा का 37 फ़ीसद है।
इस नोट की शुरुआत नोटबंदी के समय नवंबर 2016 में हुई थी। उस समय सरकार ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को यह कह कर बंद कर दिया था कि इन मुद्राओं में काला धन जमा है। लेकिन उसी सरकार ने 2,000 रुपये के नोट जारी करने के लिए रिज़र्व बैंक से कहा था। यह सवाल उठना लाज़िमी था कि यदि 1,000 रुपये से काला धन जमा करने में सहूलियत होती है तो 2,000 रुपये से भी होगी। पर सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था।