अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड ख़र्च पर फिलहाल टीसीएस यानी स्रोत पर कर संग्रह नहीं लगेगा। सरकार इस पर अपने फ़ैसले से पलटती दिख रही है। इस फ़ैसले का काफ़ी विरोध हो रहा था। हालाँकि, विरोध के बीच मई महीने में उस फ़ैसले की ख़बर आने के बाद ही सरकार ने सफ़ाई दी थी और कहा था कि प्रति वित्त वर्ष 7 लाख रुपये तक के अंतरराष्ट्रीय डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वाले भुगतानों पर टीसीएस नहीं लगेगा।
लेकिन अब सरकार ने एलआरएस यानी लिबरलाज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत भारत के बाहर अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड खर्च को शामिल करने के फैसले को स्थगित करने का फैसला किया। इसका मतलब है कि फिलहाल भारत के बाहर अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड खर्च पर टीसीएस नहीं लगेगा।
इसे 1 जुलाई से लागू किये जाने का प्रस्ताव था। बता दें कि सरकार के इस फ़ैसले की तीखी आलोचना हो रही थी। सरकार समर्थक माने जाने वाले कई लोगों ने ही सोशल मीडिया पर इस फ़ैसले की आलोचना की थी।
सरकार ने पहले जो अधिसूचना जारी की थी उसमें कहा गया था कि आरबीआई की सलाह से सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेनदेन) नियमों में संशोधन करने के लिए क्रेडिट कार्ड लेनदेन को एलआरएस की सीमा में ला दिया है। एलआरएस में इसको लाने का सीधा मतलब था कि 250000 डॉलर या इससे ज़्यादा ख़र्च वाली खरीद के लिए आरबीआई के पूर्व अनुमोदन की ज़रूरत होती। इतना खर्च पर 20 फ़ीसदी टीसीएस के रूप में लगाने का प्रावधान था।
अभी तक क्रेडिट कार्ड से किए गए खर्च को एलआरएस के दायरे में नहीं गिना जाता था। हालाँकि सरकार की ओर से कहा गया था कि इस कदम का उद्देश्य क्रेडिट कार्ड के उपयोग के माध्यम से एलआरएस सीमा की धोखाधड़ी को रोकना है।
बहरहाल, सरकार ने इस साल 1 जुलाई के बजाय 1 अक्टूबर से प्रस्तावित बढ़ी हुई टीसीएस दरें लगाने की समयसीमा भी बढ़ा दी है। यह स्थगन बैंकों द्वारा चिकित्सा, शिक्षा, विदेशी टूर पैकेज जैसी विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग टीसीएस लेवी लागू करने के लिए अपने रिपोर्टिंग सिस्टम की तैयारी पूरी नहीं होने के बारे में चिंता जताने के बीच आया है।
इसके साथ ही 1 अक्टूबर से नई दरें लागू होने तक टीसीएस लेवी 2023-24 के बजट में घोषित अपनी स्थिति में वापस आ गई है और एलआरएस के तहत भारत के बाहर अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड ख़र्च को शामिल करने में लंबा समय लगने वाला है।
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