फ़ेसबुक और रिलायंस जियो ने एक सौदा किया है। इसमें फ़ेसबुक 5.7 बिलियन डॉलर यानी क़रीब 43,570 करोड़ रुपये रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी जियो प्लेटफार्म्स में निवेश करेगी। ज़ाहिर है इस सौदे से दोनों कंपनियाँ मुनाफ़ा कमाएँगी, पर एक साथ आने का मक़सद क्या है? क्या इसका राज़ उसमें छुपा है जिसमें दोनों कंपनियों की ओर से कहा गया है कि वे भारत के डिजिटल परिवर्तन में जुटेंगी? ये डिजिटल परिवर्तन में क्या क्रांति करेंगी?
इस सवाल का जवाब ढूँढना है तो इन दोनों कंपनियों के बीच इस सौदे पर मुहर लगने से पहले उस ख़बर को देख लें जिसमें सरकार ने वाट्सएप को डिजिटल भुगतान सेवा के लिए मंज़ूरी दे दी है। यानी वाट्सएप में अब पेटीएम और गूगल पे की तरह डिजिटल भुगतान की सुविधा होगी। फ़ेसबुक की ओर से भी कहा गया है कि कंपनी वाट्सएप और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के ई-कॉमर्स जियोमार्ट पर ध्यान केंद्रित करेगी। वाट्सएप फ़ेसबुक इंक कंपनी का ही एक हिस्सा है। वाट्सएप का इस्तेमाल पूरे देश में कितना होता है, शायद यह बताने की ज़रूरत नहीं है। और जियो प्लेटफार्म्स तमाम प्रकार की डिजिटल सेवाएँ प्रदान करती है। इसके ग्राहकों की संख्या 38.8 करोड़ से अधिक है। ऐसे में दोनों कंपनियों को साथ आने में बड़े फ़ायदे की एक संभावना दिखी।
इसी फ़ायदे की बात फ़ेसबुक के प्रमुख मार्क ज़ुकरबर्ग और रिलायंस जियो के प्रमुख मुकेश अंबानी के बयानों में भी दिखी। दोनों उद्योगपतियों ने सौदा तय होने पर बयान जारी किया है।
मार्क ज़ुकरबर्ग ने अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखा है, 'फ़ेसबुक जियो प्लेटफॉर्म के साथ काम कर रही है - हम एक वित्तीय निवेश कर रहे हैं, और इससे भी अधिक हम कुछ प्रमुख परियोजनाओं पर एक साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो पूरे भारत में लोगों के लिए व्यापार के अवसर खोलेगी'।
ज़ुकरबर्ग ने यह भी कहा कि देश एक बड़े डिजिटल बदलाव के बीच में है और जियो जैसे संगठनों ने करोड़ों भारतीयों, छोटे व्यवसायों को ऑनलाइन करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी ने भी कुछ ऐसे ही डिजिटल बदलाव की बात कही। उन्होंने कहा, 'इस साझेदारी के मूल में मार्क ज़ुकरबर्ग और मेरे बीच में भारत के डिजिटल परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता है जो एक समान है।'
मुकेश अंबानी ने कहा कि फ़ेसबुक और जियो के बीच सौदे से देश भर में क़रीब तीन करोड़ किराना स्टोर वालों को फ़ायदा मिलेगा और उन्हें डिजिटल टेक्नोलॉजी रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने में मदद करेगी।
मार्क ज़ुकरबर्ग ने भी कहा कि भारत में क़रीब छह करोड़ छोटे-छोटे उद्योग धंधे हैं और यह डिजिटल भुगतान के लिए काफ़ी बड़ी संख्या है।
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