पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को तीन उपाय सुझाए हैं। उनका मानना है कि आर्थिक संकट को और गहराने से रोकने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को ये उपाय तुरन्त करने चाहिए।
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने ये उपाय सुझाए। डॉक्टर सिंह मशहूर अर्थशास्त्री हैं, वह 1990 के दशक में भारत में बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार करने के लिए जाने जाते हैं।
सिंह के सुझाए तीन उपाय हैं :
- सरकार को लोगों के खातों में सीधे पैसे डाल कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों की आजीविका के साधन सुरक्षित रहें और उनकी खर्च करने की क्षमता बची रहे।
- सरकार को चाहिए कि वह क्रेडिट गारंटी कार्यक्रमों के ज़रिए व्यवसायियों को पर्याप्त पूंजी मुहैया कराए।
- सरकार को चाहिए कि वह संस्थागत स्वायत्तता और प्रक्रियाओं के ज़रिए वित्तीय क्षेत्र को दुरुस्त करे।
सिकुड़ती अर्थव्यवस्था
बता दें कि अर्थशास्त्रियों ने भारत सरकार को चेतावनी दी है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान इसका सकल घरेलू उत्पाद सिकुड़ेगा, यानी पहले से कम होगा और भारत 1970 के दशक के बाद की सबसे बुरी आर्थिक मंदी की स्थिति में आ जाएगा। मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर बीबीसी से कहा,
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'मैं मंदी शब्द का इस्तेमाल ग़ैर-ज़िम्मेदार ढंग से नहीं करना चाहता, पर लंबे समय तक चलने वाली गहरी आर्थिक सुस्ती निश्चित है।'
डॉक्टर मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री
उन्होंने कहा कि यदि अर्थव्यवस्था सिकुड़ी तो ऐसा आज़ादी के बाद पहली बार होगा।
बता दें कि कोरोना रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से आर्थिक स्थिति बदतर हुई है। अब धीरे-धीरे प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं। पर स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हुई है।
'लॉकडाउन में सख़्ती से तकलीफ़'
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन से बचने का कोई रास्ता नहीं था, पर जिस तरह यकायक इसकी घोषणा कर दी गई और जिस सख़्ती से इसे लागू किया गया, उससे लोगों को बहुत ही तकलीफ़ हुई।डॉक्टर सिंह ने इस पर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'इस तरह के स्वास्थ्य इमरजेंसी से स्थानीय स्तर पर ही निपटा जा सकता है और बेहतर रहा होता कि केंद्र सरकार दिशा-निर्देश जारी कर इसे स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों पर छोड़ देती। हमें कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई को राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासकों के हवाले बहुत पहले ही कर देना चाहिए था।'
इस पर बहस होती रही है कि जिस सरकार के पास पैसे नहीं हैं वह भला लोगों को उनके खाते में सीधे नकद कैसे देगी?
डॉक्टर मनमोहन सिंह ने इसका भी रास्ता सुझाया। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए क़र्ज़ लेना चाहिए।उन्होंने बीबीसी से कहा,
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'सरकार को बहुत बड़ा क़र्ज़ लेना ही होगा। यदि हमें सेना, स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद का अतिरिक्त 10 प्रतिशत भी खर्च करना पड़े, तो करना चाहिए।'
डॉक्टर मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री
'सरकार क़र्ज़ ले'
उन्होंने कहा कि 'इससे सरकार पर क़र्ज़ बढ़ जाएगा, पर यदि क़र्ज़ लेने से लोगों की जान बचती है, सीमा सुरक्षित रहती है, लोगों की रोजी-रोटी बचती है और आर्थिक विकास को बल मिलता है, तो ऐसा क़र्ज़ लेना ठीक है।'मुक्त अर्थव्यवस्था के प्रबल समर्थक इस अर्थशास्त्री ने संरक्षणवाद के ख़िलाफ़ कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने आयात में जानबूझ कर रुकावट डालने की कोशिशों को ग़लत बताया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों से देश में चल रही उदारवादी आर्थिक नीतियों से शीर्ष के लोगों को ही नहीं, समाज के हर तबके को फ़ायदा हुआ है।
डॉक्टर सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में जो कुछ हो रहा है, भारत उससे बच नहीं सकता। भारत पर उसका असर पड़ना लाज़िमी है।
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