कोरोना लॉकडाउन की वजह से देश में करोड़ों लोगों की रोज-रोटी छिनी, इसमें असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की तादाद सबसे ज़्यादा है। पर ऐसा नहीं है कि इसकी मार सिर्फ़ उन्हीं पर पड़ी है। पढ़े-लिखे, एअर कंडीशन्ड ऑफ़िसों में काम करने वाले लोगों की भी नौकरी गई है। इसमे वे लोग भी शामिल हैं जो इंजीनियर हैं, एमबीए हैं, जिन्होंने संघर्ष कर गाँव की ग़रीबी से निजात पाई और शहरों में ऊँची और बड़ी नौकरियां हासिल करने में कामयाब रहे। ऐसे लोग मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। इंजीनयरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई किए हुए लोग गांवों में मिट्टी काट रहे हैं, नहर बना रहे हैं।
लॉकडाउन से बेरोज़गार एमबीए, इंजीनियर मिट्टी ढो रहे हैं मनरेगा में
- अर्थतंत्र
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- 26 Sep, 2020
मनरेगा के तहत इंजीनयरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई किए हुए लोग गांवों में मिटी काट रहे हैं, नहर खोद रहे हैं, सड़कें बना रहे हैं।
