बाज़ार में माल कम हो और मांग ज़्यादा तो क़ीमतें बढ़ती हैं। मांग कम हो तो बाज़ार में माल सप्लाई करनेवालों का कारोबार मुश्किल में आ जाता है। बहुत से कारखानों के लिए कम माल बनाने पर लागत निकालना ही टेढ़ी खीर हो जाती है। इसका नतीजा यह होता है कि वो लोग माल बनाना बंद करते हैं, कम करते हैं या छोटे कारोबार तो खुद ही बंद होने लगते हैं। हालात ज्यादा बिगड़े तो यही पूरे देश में मंदी का कारण बन जाता है। मुसीबत और बड़ी हो जाती है जब महंगाई और मंदी का खतरा एक साथ खड़ा हो जाए। यानी एक तरफ तो काम धंधे बंद हो रहे हों या न चल पा रहे हों और दूसरी तरफ महंगाई सुरसा की तरह मुंह फाड़ रही हो। इसी को अंग्रेजी में स्टैगफ्लेशन कहा जाता है। स्टैगनेशन यानी ठहराव और इनफ्लेशन यानी महंगाई की जुगलबंदी।