कर्ज के मामले में रिकॉर्ड बना है। मोतीलाल ओसवाल के एक विश्लेषण के अनुसार वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में भारत का घरेलू ऋण जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के 39.1% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट तो यह भी है कि बचत भी कम हो रही है। तो सवाल है कि आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या लोगों की आय कम हो रही है या फिर अर्थव्यवस्था में सामान की ख़पत कम हो रही है यानी मंदी जैसी स्थिति है?