कर्ज के मामले में रिकॉर्ड बना है। मोतीलाल ओसवाल के एक विश्लेषण के अनुसार वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में भारत का घरेलू ऋण जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के 39.1% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट तो यह भी है कि बचत भी कम हो रही है। तो सवाल है कि आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या लोगों की आय कम हो रही है या फिर अर्थव्यवस्था में सामान की ख़पत कम हो रही है यानी मंदी जैसी स्थिति है?
भारत का घरेलू कर्ज जीडीपी के 40% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा: रिपोर्ट
- अर्थतंत्र
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- 24 Apr, 2024
5 ट्रलियिन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 'विश्व गुरु' बनने का सपना देखते-देखते कहीं लोग कर्ज के जाल में डूब न जाएं? जानिए, कर्ज की ताज़ा रिपोर्ट से क्या संकेत मिलते हैं।

कर्ज के इस स्तर पर बढ़ने से नयी चिंताएं होने लगी हैं। यह स्थिति चिंता का कारण है क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, घरेलू ऋण ऊंचा बना हुआ है और बचत कम है। चिंता की बात यह भी है कि जब कर्ज काफी बढ़ जाता है तो किसी देश की हालत क्या होती है, इसको श्रीलंका के हालात से समझा जा सकता है। हालाँकि श्रीलंका विदेशी कर्ज के तले दबा हुआ था और भारत के संदर्भ में यह रिपोर्ट घरेलू कर्ज को लेकर आई है। वैसे, भारत पर विदेशी कर्ज भी काफी ज़्यादा है।