वित्त मंत्रालय के ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में मंदी या सुस्ती का प्रवेश हो चुका है। आंकड़े बताते हैं कि गांवों में तो उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बनी हुई है लेकिन शहरी मांग घटती जा रही है। तो क्या अब लक्ष्मीजी बेड़ा पार करेंगी?
भारत की शुद्ध घरेलू बचत 47 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दशकों से भारत बचतकर्ताओं का देश रहा है। भारत के लोग अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा भविष्य की सुरक्षा के लिए बचाकर रख देते हैं।
5 ट्रलियिन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 'विश्व गुरु' बनने का सपना देखते-देखते कहीं लोग कर्ज के जाल में डूब न जाएं? जानिए, कर्ज की ताज़ा रिपोर्ट से क्या संकेत मिलते हैं।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट में अग्रणी वित्तीय सेवा फर्म मोतीलाल ओसवाल की एक शोध रिपोर्ट के हवाले से भारतीय अर्थव्यवस्था, परिवारों की बचत और उनपर बढ़े कर्ज को लेकर जानकारी दी गई है।
चालू वित्तीय वर्ष (2023-2024) की अप्रैल-जून तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 की पिछली जनवरी - मार्च तिमाही में यह वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी।