30 हज़ार रुपये के ज़्यादा के फोन की बिक्री बढ़ी है तो उससे कम क़ीमत के फोन की बिक्री घटी है। ऐसी ही स्थिति कारों को लेकर है और महंगी कारें ज़्यादा बिक रही हैं। प्रीमियम और लग्जरी मकान ज्यादा खरीदे जा रहे हैं। तेल, साबुन, बिस्किट, टुथपेस्ट जैसे एफ़एमसीजी की भी वैसी ही स्थिति है। शहरों में तो इसने रफ़्तार पकड़ ली, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह धीमा है। कहा जा रहा है कि ख़राब मानसून के कारण इसपर ऐसा ही असर आगे भी रहेगा। तो सवाल है कि इसका संकेत क्या है? क्या अमीरों और शहरों में रहने वालों की आय कोविड के पूर्व काल की तरह हो गई है या फिर ज़्यादा हो रही है और गांवों में आय उस तरह नहीं बढ़ी है या फिर कम हुई है?
ऐसी आर्थिक तरक्की? महंगे सामान की मांग बढ़ी, सस्ते वाले की घटी
- अर्थतंत्र
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- 10 Dec, 2023
कोरोना महामारी के बाद से देश की आर्थिक स्थिति क्या पटरी पर लौटी और क्या लोगों की आय बढ़ रही है? इसको मापने का पैमाना है कि सामान की मांग कितनी बढ़ी। जानिए, उपभोक्ता सामान की क्या स्थिति है।

कोविड महामारी के बाद के समय की जो रिपोर्टें आती रही हैं उसमें आय के असमान वितरण की कहानियाँ साफ़ दिखती हैं। अमीरी गरीबी के आँकड़े भी यही बताते रहे हैं। अब उपभोक्ता सामान की बिक्री या इस सेगमेंट में जो वृद्धि दिखती है उसका भी कुछ इसी तरह का संकेत मिलता है। लक्जरी अपार्टमेंट, फैंसी कारें और महंगे उपभोक्ता सामान की ख़पत बढ़ रही है। बढ़ती मांग के बीच मॉल और रेस्तरां भरे हुए हैं जबकि होटल के कमरे पहले से कहीं अधिक महंगे हैं। एफएमसीजी कंपनियाँ बिस्कुट, साबुन, शैंपू जैसे सामान उतना नहीं बेच पा रही हैं जितना वे चाहती हैं।