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मुझे लगता है कि आर्थिक सुस्ती में नियामक अनिश्चितता की भूमिका रही है। इस पर ध्यान देना चाहिए। यह ज़रूरी है कि भारत आर्थिक सुधार करे, लेकिन ज़्यादा निश्चितता और अधिक स्पष्टता से करने से अधिक फ़ायदा होगा।
गीता गोपीनाथ, मुख्य अर्थशास्त्री, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष
अर्थव्यवस्था के अहम इंडीकेटर्स एक नज़र में :
- आईएमएफ़ ने 2019 के अनुमानित जीडीपी में 1.2 प्रतिशत अंक की कटौती कर इसे 6.1 प्रतिशत किया।
- विश्व बैंक ने कहा था कि 2019 में भारत की विकास दर 6% रह सकती है।
- रिज़र्व बैंक ने माना जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत।
- 8 कोर सेक्टर में वृद्धि दर शून्य से 5.2 प्रतिशत नीचे यानी -5.2 प्रतिशत पर पहुँच गयी।
- औद्योगिक उत्पादन 4.3 प्रतिशत सिकुड़ गया।
- गाँवों में माँग 40 साल के न्यूनतम स्तर पर।
- आयात में लगभग 14 प्रतिशत की कमी।
- आयात 13.9 प्रतिशत गिरा।
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