असम में पूरी तरीक़े से शांति है और 12 दिसंबर के बाद से कोई हिंसा नहीं हुई है। यह दावा किया है असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने। नागरिकता क़ानून बनने के बाद 11 और 12 दिसंबर को हिंसा भड़की थी। उसके बाद जीपी सिंह को एनआईए से ट्रांसफ़र कर असम बुलाया गया था। सिंह का दावा है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाज़त है और अभी भी पूरे प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन अगर प्रदर्शन हिंसक हुआ तो उन्हें क़ानून के ग़ुस्से का सामना करना पड़ेगा।
असम हिंसा के साज़िशकर्ताओं की पहचान की जाएगी: पुलिस
- असम
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- 24 Dec, 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक की चर्चा जब चलनी शुरू हुई थी तभी से कई जगहों पर विरोध शुरू हो गए थे। जैसे ही यह क़ानून बना असम में प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया। हिंसा के लिए कौन थे ज़िम्मेदार? क्या अब भी राज्य में हिंसा जारी है, अब राज्य में क्या है स्थिति? इन्हीं मसलों पर असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह से ख़ास बातचीत।
‘सत्य हिंदी.कॉम’ से ख़ास बातचीत में जीपी सिंह ने कहा कि ‘मौजूदा प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती है कि उल्फा और एनडीएफ़पी जैसे संगठन दुबारा सिर न उठा पाएँ या फिर आपस में कोई साझा काम न करें। असम ने एनडीएफ़पी और उल्फा के उग्रवाद को झेला है और इस तरह की जानकारी मिली है कि ऊपरी असम के तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ में उल्फा एक बार फिर सक्रिय है। मौजूदा विरोध-प्रदर्शन के संदर्भ में इसको नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। हमारी पूरी कोशिश है कि ये दोनों संगठन अपना सिर न उठा पाएँ।’