अब भारत सरकार भी यह मान रही है कि सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर 4.50 कम हो जाएगी।
वित्त मामलों के विभाग यानी डीईए ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यह कहा है कि कोविड-19 की वजह से आपूर्ति-माँग को लगे अभूतपूर्व झटके से जीडीपी 4.5 प्रतिशत सिकुड़ेगा।
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वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा है कि कोरोना रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाया गया जिससे आर्थिक नुक़सान हुआ है। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद स्थिति सुधरने लगी है। पूंजी बाज़ार में कुछ नुक़सान की भरपाई कर ली गई है। हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महामारी शुरू होने के पहले की स्थिति में लौटने में काफी समय लगेगा।
आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) की रिपोर्ट की मुख्य बातें
- आर्थिक मामलों के विभाग ने जून महीने के मैक्रोइकोनॉमिक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना का टीका तैयार नहीं होने से अर्थव्यवस्था को 'गंभीर चुनौतियों' का सामना करना पड़ रहा है।
- केंद्र सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए लंबे समय और छोटी अवधि की कार्य योजना तैयार की हैं, इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
- रिपोर्ट में कहा गया है, केंद्र सरकार की समाज कल्याण योजनाओं और ढाँचागत सुधारों से अर्थव्यवस्था में नयी कोपलें फूटेंगी, आत्मनिर्भर भारत पैकेज का सकारत्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
- सरकार ने यह माना है कि अप्रैल-मई में राजस्व उगाही में कमी आई है जिसकी वजह लॉकडाउन की वजह से आई रुकावट है।
- पूरी दुनिया में जनवरी से ही कोरोना के कारण अभूतपूर्व संकट देखा गया है। दुनिया के 200 देशो में इसका प्रभाव देखा गया है, एक करोड़ से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और 5 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत इससे हो चुकी है।
- वित्तीय बाज़ार में कोरोना के कारण रोज़ कीमतों में उतार-चढ़ाव बहुत ही तीव्र हो गया है। यह कहना मुश्किल है कि अगले क्षण क्या होगा। ऐसे में निवेश को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
- कोरोना का व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा। पर कुल मिला कर कम लोगों को मुनाफ़ा होने की संभावना है क्योंकि कम कीमत पर होने वाले आयात में कमी आ सकती है। मई महीने में भारत का व्यापार घाटा गिर कर 3.1 अरब डॉलर हो गया। यह फरवरी 2009 के बाद से अब तक का सबसे कम व्यापार घाटा है।
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