क्या खुदरा महंगाई अभी भी नियंत्रित नहीं है? खाने की चीजों की कीमतों में उछाल से आख़िर क्या पता चलता है? दरअसल, पिछले एक महीने में कई अहम खाने की चीजों की खुदरा क़ीमतों में तेज़ वृद्धि हुई है। चाहे वह टमाटर, प्याज और आलू जैसी ज़रूरी सब्जियाँ हों या फिर चावल और गेहूं जैसे बुनियादी अनाज और अरहर दाल जैसी ज़रूरी खाद्य सामग्री, बेतहाशा बढ़ी क़ीमतों ने घर की रसोई के बजट को बिगाड़ दिया है।
टमाटर की क़ीमत 100-130 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गई है। बीन्स, बैंगन और रतालू सहित सभी सब्जियां महंगी हो गई हैं और इनकी कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास या इससे ऊपर हो गई है।
हालांकि सरकार खुदरा महंगाई कम होने के दावे कर रही है। अप्रैल 2023 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति दर 4.7 प्रतिशत रही थी। वहीं एक साल पहले मई, 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.04 प्रतिशत के स्तर पर थी। खुदरा महंगाई अप्रैल 2021 में 4.23 प्रतिशत पर थी।
इस तरह यह लगातार चौथा महीना है जब महंगाई दर में कमी आई है। यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा के अंदर है। आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत के अंतराल के साथ चार प्रतिशत पर यानी 2-6 के बीच में रखने की रणनीति बनाई है।
दूध की कीमत में महीने-दर-महीने 0.5% की वृद्धि रही है। सभी तीन ज़रूरी सब्जियों की कीमतें बढ़ीं जिनमें आलू 8.8%, प्याज 11.1% और टमाटर मई के अंतिम सप्ताह की तुलना में लगभग दोगुना अधिक था। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 27 जून को टमाटर का राष्ट्रीय औसत खुदरा मूल्य 46.1 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो एक महीने पहले के 23.6 रुपये से 95% अधिक है। हालाँकि, अब तो आम बाज़ार में इसकी कीमत 100-130 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गई है। कई राज्यों में हरी सब्जियों की कीमत 100 प्रति किलोग्राम के आसपास पहुँच गई है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने द हिंदू से कहा कि टमाटर की कीमतों में उछाल मौसमी वजह से है। उन्होंने कहा कि देश भर में टमाटर साल के विभिन्न समय में उगाया और काटा जाता है। कुछ कमियाँ हैं और मौसम की गड़बड़ी से यह और बढ़ जाती है। यह अत्यधिक ख़राब होने वाली चीज भी है। जब बारिश होती है, तो परिवहन एक समस्या बन जाता है।
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