देश में जहाँ आर्थिक मंदी की बात की जा रही है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कमज़ोर होने का एक और सबूत सामने आ गया है। यह साफ़ हो गया है कि गाँवों में लोगों के पास पैसे कम हुये हैं, लिहाज़ा वे पहले से कम सामान खरीद रहे हैं। इसका असर उन कंपनियों पर भी पड़ रहा है जो ये सामान तैयार करती और बेचती हैं।
मंदी का एक और संकेत, गाँवों में सामानों की बिक्री 7 साल में सबसे कम
- अर्थतंत्र
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- 18 Oct, 2019
अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी नीलसन का कहना है कि भारत के गाँवों में उपभक्ता वस्तुओं की खपत 7 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई है।
