खाने के तेलों के दाम इतने बढ़ गए हैं कि लोगों की पहुँच से बाहर होते जा रहे हैं। हालत यह है कि सरसों का तेल जो ग़रीबों का खाद्य तेल माना जाता है खुदरा बाज़ार में डेढ़ सौ रुपए लीटर से भी ज़्यादा का हो गया है। दूसरे सभी तेल जैसे मूँगफली का तेल तो 200 रुपए प्रति लीटर और सूरजमुखी का तेल लगभग डेढ़ सौ रुपए किलो तक जा पहुँचा है। वनस्पति तेल जो 75 रुपए के आस-पास रहता था, 110 के ऊपर जा पहुँचा है। हैरान करने वाली बात यह है कि देसी घी जो कभी इन तेलों की तुलना में ख़ासा महँगा होता था, अब भी 500 रुपए प्रति लीटर के नीचे है। एक और बात है कि तेलों की माँग भी काफ़ी कम हो गई है क्योंकि कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद रेस्तरां और हलवाइयों की माँग पहले जैसी नहीं रही। माँग में काफ़ी गिरावट आई है और उसके बावजूद क़ीमतों का इन ऊँचाइयों तक बढ़ना कई तरह के संदेह पैदा करता है। अब हालत बहुत बिगड़ने के बाद सरकार की नींद खुली है और हाई लेवल मीटिंग हो रही है। कई उपायों की चर्चा हो रही है और सबसे आसान तरीक़ा यानी इम्पोर्ट को बढ़ाने का फ़ैसला लिया जा रहा है।