जब भी कोई बड़ा आंदोलन होता है तो उसमें तमाम तरह की झूठी-सच्ची बातें जुड़ जाती हैं और कई बार तो उसकी दिशा ही बदल जाती है। इस बार किसान आंदोलन के दौरान भी ऐसा ही हो रहा है और कई ऐसी बातें कही जा रही हैं जो पहले से सामान्य रूप से ही मौजूद नहीं हैं बल्कि पूरी शिद्दत से मौजूद हैं। लेकिन उन्हें हौवा बनाकर पेश किया जा रहा है जैसे कि कोई अप्रत्याशित सी भयानक बात होने जा रही हो।
किसान आंदोलन में कार्पोरेट का हौवा! हंगामा क्यों बरपा है?
- विचार
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- 2 Dec, 2020

नए कृषि क़ानूनों से क्या कृषि क्षेत्र में कार्पोरेट का बोलबाला हो जाएगा, कांट्रैक्ट खेती होने लगेगी और किसानों के हितों को भारी धक्का लगेगा? क्या सारा लाभ बड़ी-बड़ी कंपनियाँ ले जाएँगी और किसान तथा छोटे व्यापारी देखते रह जाएँगे?
ऐसा ही कुछ इस समय कहा जा रहा है कि नए कृषि क़ानूनों से कृषि क्षेत्र में कार्पोरेट का बोलबाला हो जाएगा, कांट्रैक्ट खेती होने लगेगी और किसानों के हितों को भारी धक्का लगेगा। सारा लाभ बड़ी-बड़ी कंपनियाँ ले जाएँगी और किसान तथा छोटे व्यापारी देखते रह जाएँगे। लेकिन यह झूठ का पुलिंदा है और सच यह है कि कृषि क्षेत्र में कार्पोरेट का वर्चस्व बेहद पुराना है और इनमें मल्टी-नेशनल कंपनियाँ भी शामिल हैं।