जब भी कोई बड़ा आंदोलन होता है तो उसमें तमाम तरह की झूठी-सच्ची बातें जुड़ जाती हैं और कई बार तो उसकी दिशा ही बदल जाती है। इस बार किसान आंदोलन के दौरान भी ऐसा ही हो रहा है और कई ऐसी बातें कही जा रही हैं जो पहले से सामान्य रूप से ही मौजूद नहीं हैं बल्कि पूरी शिद्दत से मौजूद हैं। लेकिन उन्हें हौवा बनाकर पेश किया जा रहा है जैसे कि कोई अप्रत्याशित सी भयानक बात होने जा रही हो।