शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान एक किसान रेशम सिंह ने ज़हर खा लिया। गुरुवार को उनकी मौत हो गई। लेकिन उनका वीडियो बयान सिहरन पैदा कर रहा है। उधर डल्लेवाल का आमरण अनशन चल ही रहा है और उनकी हालत चिन्ताजनकर बनी हुई है।
किसान नेताओं ने सोमवार को कहा कि अब मंगलवार को कोई भी जत्था दिल्ली की ओर कूच नहीं करेगा। किसानों ने शुक्रवार, शनिवार और रविवार को दिल्ली कूच की कोशिश की थी लेकिन उन पर आंसू गैस और लाठीचार्ज कर उन्हें रोक दिया गया। सिर्फ 101 निहत्थे किसान अपनी मांगों के लिए दिल्ली आना चाहते हैं लेकिन सरकार ने उनकी कोशिश को भी कुचल दिया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव-प्रचार जोरों पर है। राजनेता एक के बाद एक कई चुनावी वादे कर रहे हैं। हर बार करते रहे हैं, लेकिन विदर्भ के किसानों की आत्महत्याएँ नहीं रुक रही हैं?
किसानों के सामने लगातार गंभीर संकट बरकरार रहा है। अन्नदाता का यह संकट केवल अकेले का ही नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों को आने वाले समय में प्रभावित करेगा?
केंद्र सरकार की कृषि नीति समय पर फैसला न लेने के बुरे नतीजों का शिकार हो चुकी है। सरसों बोने वाले किसानों के साथ इस बार कैसे धोखा हुआ है, उसे वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर के नजरिए से समझिए।
मध्य प्रदेश में किसान लहसुन की फसल को नालों और नदी में बहा रहे हैं। सोमवार को इंदौर का एक वीडियो वायरल हुआ। जानिए कि किसान ऐसा करने को क्यों मजबूर हो रहे हैं।
खेती और किसानी पर नीति आयोग की बैठक में खूब बातें हुईं। उनकी आमदनी बढ़ने तक की बातें हुईं। बीजेपी शासित राज्यों ने किसानों की जिन्दगी बदलने के लिए सरकार की पीठ ठोंकी, पीएम मोदी को बधाई दी। लेकिन खेती और किसानी की हकीकत क्या है, क्या सचमुच आमदनी बढ़ी है, पढ़िए यह रिपोर्ट।
क्या धान पर प्रति क्विंटल 100 रुपये की एमएसपी की बढ़ोतरी पर्याप्त है? आख़िर केंद्रीय मंत्री ने इसकी घोषणा करते हुए किस आधार पर कहा कि किसानों की आय बढ़ी है?
दिल्ली ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर देवराज पिछले 80 दिनों से धरने पर बैठे हैं। वह कहते हैं कि 81वाँ दिन है और उम्मीद है कि सरकार यह क़ानून वापस ले लेगी और हम लोग अपनी खेती-किसानी करने अपने-अपने घरों को चले जाएँगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चौधरी चरण सिंह का हवाला देकर और हाशिए वाले किसानों की दयनीय स्थिति की तरफ़ इशारा कर अपनी सरकार के कृषि सुधार क़ानूनों का बचाव किया है।