हरि अनंत हरि कथा अनंता। और एकदम यही हाल पैसे का भी है। कहा भी है पैसा भगवान तो नहीं पर भगवान की कसम, भगवान से कम भी नहीं है। पैसे के अनेक रूप भी देखे गए हैं और देखे जा रहे हैं। अनाज और मसालों के लेनदेन से शुरू हुआ व्यापार फिर सोने, चांदी, तांबे, पीतल और अल्युमिनियम के सिक्कों से होता हुआ स्टील के सिक्कों और कागज के नोटों तक पहुँच चुका है।

लंबी खींचतान के बाद आख़िरकार सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून बनाने जा रही है। और अब यह साफ़ है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाई जाएगी। लेकिन यह सवाल बाक़ी है कि अपवाद के रूप में जिन क्रिप्टोकरेंसी को चलने की इजाजत दी जाएगी उनके लिए क्या तर्क इस्तेमाल होगा और उनके जोखिम को कैसे काबू में रखा जाएगा।
कुछ देशों में प्लास्टिक के नोट भी चल रहे हैं लेकिन उन्हें भी कागजी मुद्रा ही माना जाता है। कागजी मुद्रा यानी वो मुद्रा जिसकी क़ीमत उसपर लिखे हुए एक वादे में निहित है। कागज का नोट दरअसल प्रोनोट या प्रॉमिसरी नोट का ही छोटा रूप है। प्रोनोट को भारतीय परंपरा में हुंडी भी कहा जाता था। जिसपर लिखा होता था कि यह रुक्का या पत्र लेकर आनेवाले को बदले में इतनी रक़म चुकाई जाएगी। भारत के नोटों पर भी भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर की तरफ़ से ऐसा ही वादा लिखा होता है।