तमाम इनकार और इकरार के बाद आख़िरकार अब जीएसटी पर खुलकर तकरार का वक़्त आ गया है। गुरुवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में पहली बार सिर्फ़ इस बात पर चर्चा होनी है कि राज्यों को मिलनेवाले हिस्से की भरपाई कैसे होगी। केंद्र सरकार अप्रैल के बाद से अभी तक राज्यों को उनके हिस्से की रक़म एक बार भी नहीं दे पाई है। क़ायदे से हर दो महीने में एक बार यह भुगतान होना चाहिए। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने राज्यों को लगभग एक लाख पैंसठ हज़ार करोड़ रुपए का भुगतान किया था। केंद्र की मुश्किल और बढ़ गई है क्योंकि सूत्रों के अनुसार अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सरकार को बता दिया है कि वसूली हो या न हो, केंद्र सरकार राज्यों को पूरा मुआवज़ा देने के लिए ज़िम्मेदार है। वित्त मंत्रालय ने अटॉर्नी जनरल से इस मसले पर राय माँगी थी।
जीएसटी परिषद की बैठक: केंद्र पर बीजेपी के उपमुख्यमंत्री भी सवाल क्यों उठाने लगे?
- अर्थतंत्र
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- 27 Aug, 2020

आसार हैं कि केंद्र राज्य सरकारों से कह सकता है कि वो अपने-अपने बॉन्ड जारी करके बाज़ार से क़र्ज़ उठा लें। इसके लिए इजाज़त दी जा सकती है, ऐसी सलाह अटॉर्नी जनरल ने भी दी है। लेकिन इसपर विपक्ष से ज़्यादा रोचक प्रतिक्रिया तो बीजेपी नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की है। उन्होंने सवाल उठा दिया है कि अगर राज्यों को क़र्ज़ लेना पड़ा तो सरकार को उसके लिए गारंटी देनी होगी।