अडानी ग्रुप का संकट गुरुवार को बढ़ गया। सिटी बैंक ग्रुप के वेल्थ डिपार्टमेंट ने मार्जिन ऋण के लिए गौतम अडानी की फर्मों के समूह की प्रतिभूतियों (सिक्योरटीज) को स्वीकार करना बंद कर दिया है। सिक्योरटीज या प्रतिभूतियां वो होती हैं जो कंपनी अपने शेयर को उस बैंक में गिरवी रखकर और लोन लेती है और लोन के उस पैसे को शेयर मार्केट में निवेश करती है। सिटी बैंक के वेल्थ ग्रुप का अडानी की सिक्योरिटीज को लेने से मना करना अडानी समूह के लिए बहुत बड़ा झटका है। इसका सीधा असर अडानी ग्रुप की कंपनियों पर पड़ेगा।
शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप की कंपनियों पर धोखाधड़ी के संगीन आरोप लगाए हैं। हालांकि भारत सरकार ने अडानी समूह के खिलाफ किसी जांच की घोषणा इस खबर को लिखे जाने तक नहीं की है लेकिन प्राइवेट बैंकों ने दबाव महसूस करना शुरू कर दिया है। इस मामले में पहल सिटी बैंक ग्रुप ने की है। उसे देखकर अब बाकी बैंक भी अपना सुर और रंग बदलेंगे।
इससे पहले क्रेडिट सुइस ग्रुप एजी ने भी मंगलवार को तमाम गड़बड़ियों को देखते हुए अडानी ग्रुप के सभी बॉन्ड प्रतिबंधित कर दिए थे। क्रेडिट सुइस के बाद ही अडानी ग्रुप ने अपना एफपीओ वापस लेने की घोषणा की थी। इसके बाद संकटग्रस्त अडानी साम्राज्य का संकट और उलझता जा रहा है।
इस मुद्दे पर सिटीग्रुप के एक प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
उधर, क्रेडिट सुइस की निजी बैंकिंग शाखा ने अडानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड द्वारा बेचे गए शेयर्स पर लोन जीरो कर दिया है। यानी सिटी बैंक ग्रुप की ही तरह क्रेडिट सुइस अब अडानी की इन तमाम कंपनियों को शेयर खरीदने के लिए लोन नहीं देगी।
भारतीय अरबपति की कंपनियों के शेयर बुरी तरह डूब रहे हैं। फर्म के बांड अमेरिकी व्यापार में संकटग्रस्त स्तर तक गिर गए है। सिटी बैंक अमेरिकी और क्रेडिट सुइस स्विस कंपनियां हैं। भारत में सारा आर्थिक कारोबार दो बड़ी कंपनियों के हिसाब से होता है। अडानी समूह के शेयरों में 92 बिलियन डॉलर की गिरावट के बाद कंपनी ने अचानक घरेलू स्टॉक की पेशकश को रोक दिया।
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