अडानी समूह ने आख़िरकार उस सवाल का जवाब दिया है जिसमें लगातार पूछा जा रहा था कि उसकी कंपनियों में विदेशी निवेश के 20 हज़ार करोड़ रुपये किसके हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह को शेल कंपनियों से 20 हजार करोड़ रुपये मिले हैं। इन्हीं आरोपों के बीच ब्रिटिश अख़बार फाइनेंशियल टाइम्स ने इस पर ख़बर छापी थी। अडानी ने जो जवाब दिया है वह इसी अख़बार की रिपोर्टों को खारिज करने के लिए है।
अडानी समूह ने लंदन स्थित फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट का विरोध किया है और कहा है कि इसके निवेश में कुछ भी संदिग्ध नहीं है। इसने कहा कि उस रिपोर्ट में प्राइमरी और सेकंडरी निवेश को ग़लत तरीक़े से मिला दिया गया है और 2 बिलियन डॉलर के सेकंडरी लेनदेन को भी पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया। अडानी समूह ने आरोप लगाया है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि ‘अपनी पहले से मनगढ़ंत बातों का समर्थन करने के लिए रिपोर्टर आसानी से फंडिंग में अंतर का भ्रम पैदा कर सके’। उसने इस समूह को खत्म करने के लिए एक 'प्रतिस्पर्धी दौड़' का हिस्सा करार दिया।
अडानी समूह ने लेख के प्रकाशन के बाद फाइनेंशियल टाइम्स को एक पत्र लिखा है। इसमें समूह ने अडानी समूह के खुलासों से जुड़े प्रकाशन को वेबसाइट से तुरंत हटाने के लिए कहा है।
अडानी समूह ने सोमवार को एक बयान में कहा है कि 'भ्रामक जानकारी के माध्यम से आपकी स्टोरी ने अडानी समूह की कंपनियों की प्रतिष्ठा को प्रभावित किया है'।
फाइनेंशियल टाइम्स के विश्लेषण के अनुसार, आंकड़ों से पता चलता है कि अडानी से जुड़ी विदेशी कंपनियों ने 2017 और 2022 के बीच समूह में कम से कम 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया, जो इस अवधि के दौरान कुल एफडीआई में प्राप्त 5.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का 45.4 प्रतिशत है।
अख़बार की रिपोर्ट के जवाब में अडानी ग्रुप ने पिछले चार साल का पूरा हिसाब सार्वजनिक करते हुए कहा है कि अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी जैसे निवेशकों ने अडानी समूह की कंपनियों में निवेश किया है। इन्होंने अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड जैसी ग्रुप की कंपनियों में 2.593 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसके अलावा कंपनी के प्रमोटर्स ने 2.783 अरब डॉलर जुटाने के लिए अडानी टोटल गैस लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड की हिस्सेदारी बेची।
इस रिपोर्ट पर अडानी समूह ने सोमवार को कहा, 'हम समझते हैं कि अडानी को खत्म करने की प्रतिस्पर्धी दौड़ आकर्षक हो सकती है। लेकिन हम प्रतिभूति कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन कर रहे हैं।'
इसके अलावा अडानी समूह के बयान में कहा गया है कि फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट ने 'बाजार में और अन्य मीडिया में गलतफहमी पैदा की है, और यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, हम इस समय इस जानकारी को सार्वजनिक रूप से साझा करने के लिए मजबूर हैं।'
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