अडानी समूह के पहले हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अब अमेरिकी अभियोग में फँसे होने के बीच समूह को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलने वाली उधारी पर बड़ा असर पड़ा है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में वैश्विक संस्थाओं से मिलने वाली उधारी कम हो गई है, जबकि घरेलू स्तर पर उसको मिलने वाला कर्ज बढ़ा है। इसमें भी भारतीय बैंकों से मिलने वाले कर्ज में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है।
अडानी समूह को मिलने वाली वैश्विक उधारी कम क्यों हुई? जानें अब कर्ज कौन दे रहा
- अर्थतंत्र
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- सत्य ब्यूरो
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- 11 Dec, 2024
समूह के वित्तीय कर्ज में घरेलू बैंकों की हिस्सेदारी मार्च 2023 में 31% से बढ़कर सितंबर 2024 तक 42% हो गई, जबकि वैश्विक संस्थानों की हिस्सेदारी 28% से थोड़ी कम होकर 27% हो गई।

एक तरह से कहा जा सकता है कि समूह को मिलने वाली उधारी अब अंतरराष्ट्रीय से शिफ़्ट होकर घरेलू हो गई है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह में घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थानों का जोखिम मार्च 2024 में 70213 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर 2024 तक 107985 करोड़ रुपये हो गया। यानी इसमें क़रीब 53% की बढ़ोतरी हुई है।
- Adani Group