राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को इस साल अब तक महिला विरोधी अपराध की 12,600 शिकायतें मिली हैं, जिनमें सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश से हैं। यूपी में भाजपा का शासन है। इसके बाद दिल्ली और फिर महाराष्ट्र का नंबर है। हैरानी की बात है कि मणिपुर से ऐसी सिर्फ तीन शिकायतें आई हैं। जबकि भाजपा शासित मणिपुर जातीय हिंसा में दो साल से झुलस रहा है और युवा महिलाएं उसका सबसे ज्यादा शिकार हुई हैं। मणिपुर वही राज्य है, जहां पिछले साल महिलाओं की नग्न परेड कराई गई थी, फिर गैंगरेप किया गया और उनके सामने उनके परिवार के लोगों को मार डाला गया। पीएम मोदी ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का आज तक दौरा नहीं किया है।
आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 6,470 शिकायतें दर्ज की गईं। इसके बाद दिल्ली में 1,113 और महाराष्ट्र में 762 शिकायतें दर्ज हुईं। बिहार में 584, मध्य प्रदेश में 514, हरियाणा में 506, राजस्थान में 408, तमिलनाडु में 301, पश्चिम बंगाल में 306 और कर्नाटक में 305 शिकायतें दर्ज की गईं।
राष्ट्रीय महिला आयोग एक वैधानिक संस्था है जो महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देता है। आयोग देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर भी नज़र रखता है और पीड़ितों को ऐसे मामलों में न्याय दिलाने के लिए राज्य और प्रशासन को दिशानिर्देश जारी करता है। लेकिन यही महिला आयोग मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान महिलाओं पर जुल्म होने के दौरान कुछ नहीं कर पाया। उसने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को चेतावनी तक नहीं दी।
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