देश में हर रोज़ पत्रकारिता की जो दशा दिखती है और जिसे लोग महसूस करते हैं, उसकी 'जाँच रिपोर्ट' आ गई है। पत्रकारिता की आज़ादी चिंताजनक स्तर पर है। प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में दुनिया भर के देशों की सूची में हम लगातार निचले स्तर पर हैं। सूचकांक में भारत पाकिस्तान से भी नीचे है। तुलना के लिए और क्या चाहिए! 'विश्व गुरु' का दंभ भरते-भरते प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में पाकिस्तान से भी बदतर हालात में हैं! तो क्या अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति है?