रेमडेसिविर नाम की दवा को लेकर देश भर में हाहाकार मचा हुआ है। जम कर कालाबाज़ारी हो रही है। क़रीब चार हज़ार रुपए की यह दवा 45 से 60 हज़ार में बिक रही है। कुछ जगहों से डेढ़ लाख में मिलने की ख़बर भी आयी है। आम लोगों में धारणा बन गयी है कि रेमडेसिविर कोरोना का सटीक इलाज है।

रेमडेसिविर नाम की दवा को लेकर देश भर में हाहाकार मचा हुआ है। जम कर कालाबाज़ारी हो रही है। क़रीब चार हज़ार रुपए की यह दवा 45 से 60 हज़ार में बिक रही है। कुछ जगहों से डेढ़ लाख में मिलने की ख़बर भी आयी है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने तो सरकार को आदेश दे दिया है कि कोरोना के गंभीर रोगियों को एक घंटे में रेमडेसिविर उपलब्ध करायी जाय। लेकिन क्या सचमुच कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर कारगर है? क्या सचमुच इससे वायरस मर जाता है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और दुनिया के कई देशों के सर्वोच्च स्वास्थ्य संगठनों की रिपोर्ट पर ग़ौर करें तो एक अलग ही सच्चाई सामने आती है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक