वाट्सऐप ने सरकार के नये डिजिटल नियमों को लेकर सरकार पर मुक़दमा किया है। दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को दायर याचिका में इसने कहा है कि इन नियमों से यूज़र की गोपनीयता की सुरक्षा भंग होगी। वाट्सऐप ने अदालत से कहा है कि नये क़ानूनों में से एक का प्रावधान ग़ैर-संवैधानिक है। नए डिजिटल नियम के तहत यह पूछे जाने पर सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा कि किसी पोस्ट को सबसे पहले किसने किया। यानी मैसेज को 'ट्रेस' करना होगा। न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने यह ख़बर दी है।
वाट्सऐप ने एक बयान में कहा है, "मैसेजिंग ऐप्स द्वारा चैट को 'ट्रेस' करने के लिए हमसे कहना व्हाट्सएप पर भेजे गए हर एक संदेश का फिंगरप्रिंट रखने के लिए कहने के बराबर है। यह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को भंग कर देगा और मौलिक रूप से लोगों के निजता के अधिकार को कम कर देगा।" व्हाट्सएप के भारत में क़रीब 40 करोड़ यूजर हैं। कोई भी फ़ैसला इतने करोड़ यूजरों को प्रभावित करेगा।
याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय से यह घोषित करने के लिए कहा गया है कि नए नियमों में से एक भारत के संविधान के तहत गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन करता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, वाट्सऐप की याचिका 2017 के सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देती है जिसमें कहा गया है कि कुछ अपवादों को छोड़कर गोपनीयता को संरक्षित किया जाना चाहिए।
नये डिजिटल नियम की इस साल 25 फ़रवरी को सूचना मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के लिए घोषणा की थी। इन नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर को भी नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। सरकार ने इन अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए तीन महीने का वक़्त दिया था जो 25 मई था।
ग्रीवांस रिस्पॉन्स मैकेनिज़्म यानी शिकायत निवारण तंत्र के तहत क़ानूनी आदेश के बाद 36 घंटे के अंदर किसी कंटेंट को हटाना होगा। उन साइटों को एक ऐसी स्वचालित व्यवस्था करने को कहा गया है कि आपत्तिजनक कंटेंट ख़ुद ब ख़ुद हट जाएँ।
रिपोर्ट है कि फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम ने अब तक ऐसे किसी भी अफ़सर को तैनात नहीं किया है। आज 26 मई है और अभी तक सरकार की ओर से कुछ स्पष्टता नहीं आई है।
गूगल ने मंगलवार को भारत सरकार को क़ानून अनुपालन सुनिश्चित करने के अपने निरंतर प्रयासों का ज़िक्र करते हुए आश्वासन दिया। इसने अपने बयान में कहा है कि स्थानीय कानूनों के अनुसार सामग्री के प्रबंधन का इसका 'लंबा इतिहास' रहा है। फ़ेसबुक ने कहा कि उसका लक्ष्य नए नियमों का पालन करना है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह कुछ ऐसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है, जिनमें और जुड़ाव की ज़रूरत है।
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