पिछले कुछ दिनों से संपत्ति के पुनर्वितरण का विवाद छाया हुआ है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को की और वह लगातार इसको मुद्दा बना रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि कांग्रेस ने चुनाव घोषणापत्र में संपत्ति के पुनर्वितरण की बात कही है। इसी को लेकर पीएम ने आगे कहा कि वे (कांग्रेस) इस संपत्ति को 'ज़्यादा बच्चे वालों' और 'घुसपैठिए' को बाँटेंगे। पीएम ने तो यहाँ तक कह दिया कि 'ये माताओं, बहनों का मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।' कांग्रेस ने पीएम के इस बयान को सफेद 'झूठ' कहा है और चुनौती दी है कि वह कांग्रेस के घोषणापत्र में कही बातों से इसे साबित करें।
बीजेपी और कांग्रेस में इस सियासी घमासान के बीच सवाल उठता है कि आख़िर संपत्ति के पुनर्वितरण की बात क्यों उठ रही है? क्या विभिन्न वर्गों और समुदायों में धन का असमान वितरण है? हालाँकि, देश में विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के स्वामित्व वाले सोने सहित धन और संपत्ति पर कोई हालिया विस्तृत या विशिष्ट डेटा उपलब्ध नहीं है। इस मामले में कई रिपोर्टों के आधार पर अध्ययन किया गया है और इसी पर एक रिपोर्ट आई है।
इस मामले में कुछ डेटा आईसीएसएसआर-मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान- भारतीय दलित अध्ययन संस्थान द्वारा 2020 में प्रकाशित 'भारत में धन स्वामित्व में अंतर समूह असमानता पर अध्ययन रिपोर्ट' में उपलब्ध हैं।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय यानी एनएसएसओ और भारतीय आर्थिक जनगणना द्वारा किए गए अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण के डेटा से तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया कि अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और मुसलमानों के बीच संपत्ति का स्वामित्व सबसे कम था। इंडियन एक्सप्रेस ने इस रिपोर्ट पर एक ख़बर छापी है।
भारत में कुल परिवारों में हिंदू उच्च जातियों की हिस्सेदारी (22.2%) की तुलना में उनकी संपत्ति में हिस्सेदारी अनुपातिक रूप से अधिक थी। यह संख्या हिंदू ओबीसी के लिए 35.8%, मुसलमानों के लिए 12.1%, एससी के लिए 17.9% और एसटी के लिए 9.1% थी।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हिंदू उच्च जातियों के स्वामित्व वाली संपत्ति का कुल मूल्य 1,46,394 अरब रुपये है, जो एसटी के स्वामित्व वाली संपत्ति (13,268 अरब रुपये) का लगभग 11 गुना है। मुसलमानों के पास अनुमानत: 28,707 अरब रुपये की संपत्ति थी।
अंग्रेजी अख़बार ने अध्ययन के हवाले से ख़बर दी है कि प्रति परिवार संपत्ति का औसत स्वामित्व 15.04 लाख रुपये था। लेकिन विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच काफ़ी ज़्यादा भिन्नताएँ थीं।
औसत घरेलू संपत्ति हिंदू उच्च जातियों में सबसे अधिक (27.73 लाख रुपये) थी, उसके बाद हिंदू ओबीसी की संपत्ति (12.96 लाख रुपये) थी। रिपोर्ट में पाया गया कि मुस्लिम परिवारों की औसत संपत्ति (9.95 लाख रुपये), एसटी (6.13 लाख रुपये) और एससी (6.12 लाख रुपये) परिवारों की तुलना में अधिक थी।
अध्ययन के अनुसार, हिंदू ओबीसी के पास सोने का सबसे बड़ा हिस्सा (39.1%) था। उसके बाद हिंदू उच्च जातियों (31.3%) का स्थान था। मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.2% है, जो केवल एसटी (3.4%) से अधिक है।
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